सहारनपुर। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि जब तक एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानून नहीं बनेगा और नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने यह बात रविवार को सहारनपुर जिले के नागल मार्ग स्थित लाखनौर गांव में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा जिस तरीके से पहले गोदाम बनाए गए और बाद में कानून बनाया गया, वह किसानों के साथ धोखा है।
विपक्ष की मजबूती पर अपने विचार व्यक्त करते हुए टिकैत ने कहा कि विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी है, यदि विपक्ष मजबूत होता तो केन्द्र सरकार किसान विरोधी कृषि कानून लागू नहीं कर पाती।
टिकैत ने कहा कि किसान अपनी जमीन को औलाद की तरह प्यार करता है फिर वह कैसे अपनी जमीन को बड़ी कम्पनियो के हाथों में सौंप सकता है?
उन्होंने कहा कि खेती में घाटा होने के बावजूद किसान अपनी जमीन पर पसीना बहाते हुए खेती करता है जबकि व्यापारी नुकसान होने पर अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर मे जाकर व्यापार करने लगता है, अपना व्यापार बदल लेता है लेकिन किसान सिर्फ खेती ही करता है और उसका परिवार उसी खेती पर टिका होता है।
टिकैत ने केन्द्र की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने किसान के आगे कंटीले तार लगाकर किसान की भावनाओं को भड़काने का काम किया है, यही नहीं, तिरंगे के लिए भी सरकार ने किसानों का अपमान किया है जबकि वास्तविकता यह है कि तिरंगे का सबसे ज्यादा सम्मान गांव के लोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार को भ्रम है कि किसान गेंहु की कटाई मे लग जाएगा लेकिन सरकार यह बात समझ ले कि किसान गेहूं की कटाई भी करेगा और आंदोलन भी करेगा।
टिकैत ने कहा कि किसान सरकार से संशोधन नहीं चाहता बल्कि नए कृषि कानून की समाप्ति चाहता है,जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन : केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ गत करीब दो महीने से हरियाणा के जींद जिले के खटकड़ टोल पर आंदोलन कर रहे किसानों ने रविवार को सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन की अध्यक्षता सर्व जातीय खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान बरसोला ने की। भाकियू जिलाध्यक्ष आजाद पालवां ने कहा कि सर्व धर्म सम्मेलन का किसान धरना स्थल पर आयोजन करके किसानों ने देश, प्रदेश में हम सब एक हैं का संदेश देने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार हममें में फूट डालने की कोशिश न करें और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाए। पालवां ने कहा कि लोग अब सरकार के बहाकवे में नहीं आएंगे क्योंकि लोग जागरूक हो चुके हैं। सर्व जातीय खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान ने बताया कि किसानों का आह्वान किया गया है कि वे सरकारी डेयरी पर 100 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध दें।
गेहूं की फसल पर चलाया ट्रैक्टर : किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में हिसार के निकटवर्ती गांव लाडवा में किसानों ने अपनी गेहूं की फसल को ट्रैक्टरों से नष्ट कर दिया। किसान नेता राकेश टिकैत ने हाल ही में कहा था कि तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए किए जा रहे आंदोलन को कामयाब करने के लिए किसानों को अपनी एक फसल जलानी पड़े तो वे ऐसा करने को तैयार हैं।
इसके बाद से हरियाणा में कई किसानों ने अपने खेतों में खड़ी कुछ फसलों को ट्रैक्टर से नष्ट करना शुरू किया है। हालांकि बाद में टिकैत समेत किसान मोर्चा के नेताओं ने किसानों से अपील की कि वे फसल नष्ट न करें और उन्होंने अभी फसलें नष्ट करने को नहीं कहा था, केवल जरूरत पड़ने पर इस हद तक जाने की बात कही थी। हिसार जिले के गांव भाटोल जाटान के एक किसान परमजीत ने कल अपनी पांच एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया था।
उन्होंने ऐलान किया कि जब तक ये तीनों काले कानून वापिस नहीं होते, वह अपने खेत में कोई भी फसल की बिजाई नहीं करेंगे। खेत में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाने के दौरान गांव के अनेक किसान मौके पर जमा हो गए और किसानों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। नारनौंद के एक किसान ने भी कृषि कानूनों को वापस न लेने पर सरकार के प्रति गुस्सा दिखाते हुए एक एकड़ में खड़ी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर दिया। (भाषा)