गाजियाबाद। कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हुए हैं। वही सरकार भी इन कानूनों को किसानों के हित में बताते हुए इसे वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है। किसान आंदोलन का फायदा उन लोगों को भी मिल रहा है कि जिन्हें आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है बल्कि जो सिर छुपाने के लिए जगह चाहते हैं।
साहूकारों से बचने के लिए अपना भेष बदलकर दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने वाले कर्ज में डूबे एक व्यवसायी का पुलिस ने गुरुवार को पता लगा लिया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुरादनगर शहर के निवासी प्रवीण ने एक दिसंबर को अपना घर छोड़ दिया और वापस नहीं आए। वह गाजीपुर-गाजियाबाद सीमा पर मिले।
उन्होंने बताया कि पहले भी वह लापता हुए थे, लेकिन कुछ दिनों बाद वापस लौट आए थे, इसलिए उनके परिवार ने 12 दिसंबर तक पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
इस संबंध में एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिन्होंने उन्हें पैसे दिए थे, उनके उत्पीड़न से बचने के लिए, वह किसानों के प्रदर्शन में पहुंच गए और वहां उन्हें मुफ्त भोजन मिल रहा था। (भाषा)