Fathers Day पर इन पंक्तियों से करिये पिता के लिए अपनी भावनाओं का इज़हार
पिता के लिए मशहूर शायरों के ये चुनिन्दा शेर पढ़ कर आप हो जाएंगे भावुक
पिता का अपने बच्चों के साथ रिश्ता बहुत अलग-सा होता है। हालाँकि ये एक ऐसा लौता रिश्ता है जहाँ जज़्बात खुल कर ज़ाहिर नहीं होते। इन्हीं अनसुनी, अनकही भावनाओं को व्यक्त करने का मौका देता है Fathers Day। यूँ तो ये रिश्ता किसी दिन का मोहताज नहीं लेकिन अपने पिता के लिए आपके सम्मान, भावनाओं और प्रेम के लिए ये मौका बहुत ख़ास हो सकता है।
हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब
पढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने
मेराज फ़ैज़ाबादी
बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
मुझ को छाँव में रखा और ख़ुद भी वो जलता रहा
मैंने देखा इक फ़रिश्ता बाप की परछाईं में
अज्ञात
बच्चे मेरी उँगली थामे धीरे धीरे चलते थे
फिर वो आगे दौड़ गए मैं तन्हा पीछे छूट गया
ख़ालिद महमूद
देर से आने पर वो ख़फ़ा था आख़िर मान गया
आज मैं अपने बाप से मिलने क़ब्रिस्तान गया
अफ़ज़ल ख़ान
सुब्ह सवेरे नंगे पाँव घास पे चलना ऐसा है
जैसे बाप का पहला बोसा क़ुर्बत जैसे माओं की
हम्माद नियाज़ी
मैं अपने बाप के सीने से फूल चुनता हूँ
सो जब भी साँस थमी बाग़ में टहल आया
हम्माद नियाज़ी
मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग
अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए
शकील जमाली