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सुप्रीम कोर्ट के लिए ऐतिहासिक फैसलों का वर्ष रहा 2019

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, शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019 (16:49 IST)
नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और फ्रांस के साथ अरबों डॉलर की राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे का रास्ता साफ करने वाले उच्चतम न्यायालय के 2019 के फैसले ऐतिहासिक रहे। इस साल न्यायालय ने खुद को विवादों में उस वक्त पाया जब भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। बहरहाल, बाद में उन्हें इस मामले में क्लीन चिट मिल गई।

भारत के प्रधान न्यायाधीशों को लेकर पहले भी विवाद हुए हैं, लेकिन न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) गोगोई भारतीय न्यायपालिका के पहले ऐसे प्रमुख थे जिनके खिलाफ पद पर रहते हुए यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे। आरोप न्यायालय की पूर्व महिला कर्मचारी ने लगाए थे।

उच्चतम न्यायालय की आंतरिक जांच समिति ने न्यायमूर्ति गोगोई को क्लीन चिट दे दी और उसके साथ ही यह विवाद समाप्त हो गया। जांच समिति का नेतृत्व मौजूदा प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे कर रहे थे।

शीर्ष अदालत को केन्द्र सरकार द्वारा एक ऐतिहासिक फैसले में संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के खिलाफ दायर की कई तमाम याचिकाओं से भी निपटना पड़ा। बाद में इसे लेकर फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को हिरासत में भी लिया गया। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा समाप्त हो गया। केन्द्र ने पूरे राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया। केन्द्र सरकार के इस फैसले की समीक्षा के लिए 5 सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया गया है।

इन तमाम फैसलों के बीच 2019 को सबसे ज्यादा याद किया जाएगा अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए। शीर्ष अदालत ने इस साल अपने फैसले में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का समाधान निकाला।

इस मामले में मध्यस्थता की तमाम कोशिशें विफल होने के बाद समाधान खोजने की जिम्मेदारी न्यायालय के कंधों पर आ पड़ी थी। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें पूरे 40 दिन तक सुनीं। यह न्यायालय के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई है। पीठ ने आम सहमति से दिए गए अपने फैसले में कहा कि राम मंदिर का निर्माण विवादित भूमि पर होगा और केन्द्र को निर्देश दिया कि वह मुसलमानों को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करे।

वहीं केरल के सबरीमला मंदिर में रजस्वला महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले अपने 2018 के ऐतिहासिक फैसले पर दायर समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने विभिन्न धर्मों द्वारा महिलाओं के साथ किए जाने वाले भेदभाव के मुद्दे को विस्तार देते हुए मामले को सुनवाई के लिए 7 सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया।

न्यायालय ने कहा कि एक बड़ी पीठ को मुसलमान और पारसी महिलाओं के साथ भी होने वाले कथित धार्मिक भेदभाव से निपटने के संबंध में रुपरेखा तय करनी चाहिए। इनमें मस्जिद और दरगाहों में मुसलमान महिलाओं के प्रवेश पर मनाही और गैर-पारसी समुदाय के पुरुष से विवाह करने वाली पारसी महिलाओं को प्रार्थना स्थल अज्ञारी में प्रवेश से मनाही जैसे विषयों पर विचार शामिल हैं।

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए एक वक्त सिरदर्द बन गए राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे पर न्यायालय ने केन्द्र के पक्ष में फैसला दिया। न्यायालय ने अपने पुराने फैसले को बरकरार रखते हुए फ्रांस की सरकार के साथ हुए इस सौदे की सीबीआई जांच की मांग करने वाली विभिन्न समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया। भारत सरकार और फ्रांस की सरकार के बीच हुए इस सौदे में दसाल्ट एविएशन से 36 पूरी तरह तैयार लड़ाकू विमान खरीदे जा रहे हैं।

इस साल उच्चतम न्यायालय ने आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत सूचनाएं साझा करने को लेकर भी नरम रुख अपनाया और बेहद महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधान न्यायाधीश का कार्यालय सार्वजनिक प्राधिकार है और वह भी इस कानून के तहत आता है तथा उसे सूचनाएं साझा करनी चाहिए। लेकिन, सूचनाएं साझा करने पर अपना नियंत्रण बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘जनहित’ में सूचनाएं सार्वजनिक करते हुए भी ‘न्यायिक स्वतंत्रता’ और सूचनाओं की प्रकृति को ध्यान में रखा जाए।

पूरे देश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की ज्यादाती आदि को लेकर दायर याचिकाओं को शीर्ष अदालत ने संबंधित उच्च न्यायालयों के पास भेज दिया। सीएए के तहत धार्मिक आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए जाने के बाद भारत आए गैर-मुसलमानों को योग्यता के आधार पर देश की नागरिकता दी जाएगी।

साथ ही शीर्ष अदालत ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश और इंडियन मुस्लिम लीग सहित विभिन्न दलों की ओर से दायर 59 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीएए की संवैधानिक वैधता पर विचार करने का फैसला लिया और केन्द्र को इस संबंध में नोटिस जारी किया।

इसके अलावा शीर्ष अदालत ने असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की। इसमें 3,30,27,661 लोगों ने सूची में शामिल होने के लिए आवेदन किया जिनमें से 19,06,657 को बाहर रखा गया।

उच्चतम न्यायालय ने इस साल महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। उसने 2012 निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्या कांड के चार दोषियों में से एक की मौत की सजा बरकरार रखी। साथ ही निर्देश दिया कि जिन जिलों में पॉक्सो के तहत 100 से ज्यादा प्राथमिकियां दर्ज हैं वहां तत्काल प्रभाव से विशेष अदालतों का गठन किया जाए, जो सिर्फ इन्हीं मामलों की सुनवाई करेंगी।

भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद जैसे राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों को यौन उत्पीड़न के मामलों में अदालती मार झेलनी पड़ी। न्यायालय ने सेंगर से जुड़े उन्नाव बलात्कार मामले की सुनवाई लखनऊ की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करवाई। दिल्ली की अदालत ने सेंगर को इस मामले में जीवन पर्यंत कैद की सजा सुनाई।

न्यायालय ने यौन अपराधों के न्याय के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि प्रभावी और तेजी से सुनवाई के लिए संशोधन किए जाने के बावजूद एनसीआरबी 2017 के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में बलात्कार के 32,559 मामले दर्ज हैं।

वित्तीय भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामले में बार-बार शीर्ष अदालत से राहत मांग। अंतत: हिरासत में 100 दिन गुजारने के बाद उन्हें जमानत मिली।

गड़बड़ी करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने रियलिटी क्षेत्र के कानून रेरा के तहत आम्रपाली समूह का पंजीकरण रद्द कर दिया और उसे एनसीआर की उसकी मुख्य संपत्तियों से बेदखल कर दिया।

न्यायालय ने निर्देश दिया था कि जेपी इंफ्राटेक ऋण समाधान प्रक्रिया को पूरा करे और केवल एनबीसीसी और सुरक्षा रियलिटीज से ही संशोधित प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएं।

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति द्वारा संचालित हो रहे दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई को आखिरकार नए पदाधिकारी मिले। भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरभ गांगुली बीसीसीआई के नए अध्यक्ष बने। शीर्ष अदालत की इस समिति के अध्यक्ष पूर्व कैग विनोद राय थे।

रिलायंस एडीएजी के चेयरमैन अनिल अंबानी को उच्चतम न्यायालय की अवमानना का दोषी करार दिया गया। अदालत ने अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी आरकॉम को स्वीडन की टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन का 453 करोड़ रुपए का बकाया चुकाने या फिर तीन महीने जेल की सजा भुगतने को कहा था।

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