गंगटोक। देश के पूर्वोत्तर में पड़ने वाला राज्य सिक्किम इस वर्ष 2 कारणों से चर्चा में रहा। पहला कारण है- देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहने वाले सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग की 2019 विधानसभा चुनाव में उनके ही निकट सहयोगी से पराजय और दूसरा कारण है- रिकॉर्ड संख्या में पर्यटकों की राज्य में आमद।
सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के संस्थापक अध्यक्ष पवन कुमार चामलिंग (69) को मई में हुए चुनाव में उनके निकट सहयोगी रह चुके प्रेमसिंह तमांग (गोलेय) ने शिकस्त दी। सिक्किम की 32 सीटों वाली विधानसभा में तमांग की सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) को 17 सीटें वहीं चामलिंग की पार्टी को 15 सीटें मिलीं।
इस पराजय ने चामलिंग को उस सत्ता से बेदखल कर दिया जिस पर वे 1994 से राज कर रहे थे। सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री पद संभालने का खिताब चामलिंग के हिस्से में गया है, जहां उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। बसु 1977 से 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे।
लंबे समय तक शासन के बाद मिली हार को मुख्यमंत्री पद पर 5 कार्यकाल पूरे कर चुके चामलिंग ने विनम्रता से स्वीकार किया और कहा कि मतदाताओं ने उन्हें विपक्ष में बैठने की जिम्मेदारी सौंपी है जिसे वे स्वीकार करते हैं।
विधानसभा चुनाव के कुछ माह पश्चात राज्य में नाटकीय घटनाक्रम में एसडीएफ विधायक दल से 10 विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद 2 विधायक एसकेएम में शामिल हो गए और फिर पार्टी में अकेले बचे चामलिंग। भाजपा में 10 विधायकों के शामिल होने से राज्य में पार्टी को बल मिला, क्योंकि चुनाव में उसे केवल 1.62 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे और उसके पास एक भी विधायक नहीं था।
तमांग की पार्टी को केंद्र के राजग में शामिल होकर फायदा मिला वहीं भाजपा को प्रभावशाली क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन का फायदा नवंबर में 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में पहली बार जीत के रूप में मिला।
राजनीति के अलावा यह वर्ष पर्यटन के लिहाज से राज्य के लिए काफी अच्छा साबित हुआ और 2019 में यहां 20 लाख से ज्यादा पर्यटक आए। इसके अलावा लोगों के आपसी सौहार्द के लिए राष्ट्रपति ने राज्य की सराहना भी की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सौहार्द का यह एक बड़ा उदाहरण है।
कोविंद ने सिक्किम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा था कि यह जानकर अच्छा लगा कि सिक्किम में सभी धर्मों के लोग शांति और सद्भाव में रहते हैं, और एक-दूसरे के उत्सव में उत्साह के साथ भाग लेते हैं। वे भारत के अन्य हिस्सों में अपने भाइयों के सामने एक महान उदाहरण पेश करते हैं कि कैसे सद्भाव के साथ रहना है और आपस में बातचीत करना है। आमतौर पर शांत रहने वाले इस राज्य में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में खूब प्रदर्शन हुए।