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Flashback 2019 : भारतीय राजनीति के 5 दिग्गज, जो लौट के फिर न आए...

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, शनिवार, 28 दिसंबर 2019 (20:40 IST)
वर्ष 2019 ने जहां लोगों को खुशियों की सौगात दी तो कुछ जख्म भी दिए, दर्द भी दिए। भारतीय राजनीति के कुछ बड़े चेहरों ने इस साल दुनिया को अलविदा कह दिया। इनमें भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेता थे। इनमें भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, दिल्ली की मुख्‍यमंत्री रहीं कांग्रेस नेता शीला दीक्षित शामिल हैं।

1. अरुण जेटली : भाजपा के दिग्गज नेता और वरिष्ठ वकील अरुण जेटली का 24 अगस्त को निधन हो गया। भाजपा के संकटमोचक रहे जेटली ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की और भारत के वित्तमंत्री और रक्षामंत्री भी बने। पेशे से वकील जेटली लंबे समय तक पार्टी के प्रवक्ता रहे। वे मीडिया एवं अन्य सार्वजनिक मंचों पर पार्टी का पक्ष प्रखरता से रखते थे।

2. सुषमा स्वराज : केन्द्र में विदेश मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण पद संभालने वाली सुषमा स्वराज का निधन 6 अगस्त को हो गया। उनकी गिनती देश की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला नेताओं में होती थी। उन्हें भारत की पहली महिला विदेशमंत्री होने का गौरव प्राप्त था। वे दिल्ली की मुख्‍यमंत्री भी रहीं। वक्तृत्व कौशल की धनी सुषमा 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहीं। उन्होंने सितंबर 2016 में सयुंक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण दिया था, जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई थी। संस्कृत से भी उनका विशेष प्रेम था।

3. शीला दीक्षित : कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित 1984 में पहली बार उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद चुनी गई थीं। 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल वे दिल्ली की मुख्‍यमंत्री रहीं। 20 जुलाई को निधन के समय वे दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष थीं। उनकी गिनती कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के नेताओं में होती थी। बहुत थोड़े समय के लिए उन्होंने केरल के राज्यपाल की जिम्मेदारी भी संभाली।

4. मनोहर पर्रिकर : मनोहर पर्रिकर की गिनती देश के ईमानदार नेताओं में होती थी। आईआईटी मुंबई से उच्च शिक्षित पर्रिकर तीन बार गोवा के मुख्‍यमंत्री रहे। 17 मार्च 2019 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। उस समय वे गोवा के मुख्‍यमंत्री थे। उन्होंने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार में रक्षामंत्री का पद भी संभाला।

5. राम जेठमलानी : अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में कानून मंत्री रहे राम जेठमलानी का 8 सितंबर को निधन हो गया। कुछ समय के लिए वे केन्द्र में शहरी विकास मंत्री भी रहे। उनकी गिनती देश के नामी और कामयाब वकीलों में होती थी। उनका जन्म अविभाजित भारत के शिकारपुर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने 17 साल की उम्र में एलएलबी की डिग्री हासिल कर ली थी। उस समय वकालत की प्रैक्टिस करने के लिए 21 साल की उम्र जरूरी थी, लेकिन जेठमलानी के लिए विशेष प्रस्ताव पास करके 18 साल की उम्र में प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई।

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