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दद्दू का दरबार : इंदौर का सराफा बाजार

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एमके सांघी

प्रश्न : दद्दूजी, खबर है कि इंदौर का प्रसिद्ध ज्वेलरी बाजार 'सराफा' अपने से दूर होते ग्राहकों को लुभाने के लिए 60 लाख के इनाम देने जा रहा है। क्या यह कोशिश सफल रहेगी? आपका क्या कहना है?

 
उत्तर : देखिए, इंदौर का सराफा बाजार दो चीजों के लिए प्रसिद्ध है- एक तो चाट, मिठाई व नए-पुराने जमाने के सभी खानपान और दूसरे गोल्ड ज्वेलरी। आज भी किसी इंदौरी के घर बाहरी प्रदेश से कोई मेहमान आकर ठहरता है, तो शहर की महंगी होटल्स के अलावा एक शाम सराफे में भरपेट दावत उड़ाने के लिए सुरक्षित रहती है। बड़े कॉर्पोरेट्स भी अपने विदेशी मेहमानों को ले जाकर सराफे से लजीज व्यंजनों का भोग अवश्य लगवाते हैं।

 
मगर गत कुछ वर्षों से सराफा के ज्वेलरी बाजार में मंदी का रुख है। इसके पीछे पार्किंग की समस्या के साथ विश्वसनीयता में कमी भी है। 60 लाख के इनामों की घोषणा एक अच्छा तात्कालिक कदम हो सकता है, पर दूरगामी अच्छे परिणामों के लिए दद्दू का फॉर्मूला अपनाया जाए तो फायदा अवश्य होगा।
 
आजकल कमीशन का जमाना है। अब जब यह तय है कि इंदौरी अपने मेहमानों को सराफे के चाट-पकवान की दावत के लिए लाते ही हैं, तो सराफा के ज्वेलरी व्यवसायियों को चाहिए कि वे घोषणा करे कि जो भी इंदौरी अपने मेहमान को ज्वेलरी शोरूम लाकर खरादी के लिए प्रेरित करेगा, उसके खानपान के सारे बिलों का भुगतान दुकान से होगा।

 
नतीजतन, एक और महंगाई के जमाने में इंदौरी मेजबान की जेब का भार कम होगा, वहीं चाट दुकानों की सारी भीड़ ज्वेलरी शोरूम में उमड़ पड़ेगी। देखना जो मेजबान अपने मेहमान को सराफा नहीं लाते हैं, वे भी लाने लगेंगे!

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