प्रश्न : दद्दूजी, जब जब इंदौर में क्रिकेट मैच हुआ है, तब-तब आपने अपने कॉलम में भारतीय खिलाड़ियों के लिए कोई न कोई टिप जरूर दी है और उन्होंने भी हर बार जीत का वरण किया है। इस बार टीम के लिए आप क्या जादू की टिप लेकर आए हैं?
उत्तर : देखिए, इस बार अजब संयोग है कि स्टेडियम के पास ही अभय प्रशाल में माता के ‘रास-उल्लास’ गरबे चल रहे हैं। भारतीय खिलाड़ी दिन में मैदान पर अभ्यास कर पसीना बहाएं और शाम को तैयार होकर प्रशाल में रास-उल्लास के साथ गरबे खेलें। गरबे खेलने के दौरान क्रिकेट की अद्भुत प्रैक्टिस हो जाती है। अपने डांडिया को बैट और पड़ोसी के डांडिया को बाल समझकर बस कूटे जाओ, कूटे जाओ। एक बार भी बीट होने का कोई चांस नहीं।
डांडिया खेलते या ताली पीटते समय कलाई व हाथ जिस गति और संतुलन के साथ दाएं-बाएं व ऊपर-नीचे आते हैं, उससे चौके-छक्के तथा अन्य क्रिकेटीय शॉट लगाने की प्रैक्टिस हो जाएगी। बेहतरीन फुटवर्क शानदार गरबे करने का मूल मंत्र है। गरबा खिलाड़ी कभी-कभी फ्रंटफुट पर आते हैं तो कभी बैकफुट पर।
इंदौरी गरबा वीर टीम के खिलाड़ियों को फुटवर्क का अभ्यास करवाकर इस तरह से उत्कृष्ट बना देंगे कि विरोधी टीम 4 दिनों में ही चित हो जाएगी। हमारे गरबा वीरों के हाथों के एक्शन को हमारे बॉलर ध्यान से देखेंगे तो उनमें न केवल विश्व के सारे महान गेंदबाजों की कलाइयों के एक्शन नजर आ जाएंगे बल्कि बॉलिंग की कई नई टेक्निक भी मिल जाएंगी। सबसे बड़ी बात कि रास-उल्लास के माहौल में खिलाड़ी पूरी तरह से तनावमुक्त हो जाएंगे तथा अगले दिन जीत के लिए अपना स्वाभाविक खेल खेलेंगे। कैसी रही?
‘जय माता दी’ इस मैच का स्लोगन होगा। हर चौके-छक्के पर दर्शक बोलेंगे ‘जय माता दी’ और हर विकेट लेने के बाद सारे खिलाड़ी गोल घेरा बनाकर गरबा करेंगे 'जय माता दी' के विजय घोष के साथ।
'जोर से बोलो जय माता दी'।