प्रश्न : दद्दू जी, देश में टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं। पहली बार सुनने में आ रहा है कि इस संबंध में पूछे जाने वाले प्रश्नों का आप जवाब ही नहीं दे रहे। क्या इसे टमाटर न खरीद पाने की शर्म समझा जाए?
उत्तर : देखिए टमाटर न खरीद पाने की शर्म कोई शर्म नहीं है, क्योंकि यह शर्म देश के 90% लोगों की शर्म है। मेरे इस मामले पर मुंह बंद रखने का बस एक ही मासूम कारण है कि टमाटर के भाव 200 रुपए किलो छूने की खबर टमाटर के पौधे पर लगने वाले कीट मिली बग को न लग जाए। महंगी चीज सभी को आकर्षित करती है। ऐसा न हो कि ये बग आने वाली फसल पर टूट पढ़ें और उसे बर्बाद कर 400 रुपए किलो बना दें।