शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन में आम सहमति बन गई और नई दिल्ली घोषणापत्र को स्वीकार कर लिया गया। जानिए खास बिंदु-
1. यूक्रेन में युद्ध : घोषणापत्र में कहा गया कि आज का युग, युद्ध का युग नहीं है और सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता तथा संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान किया गया। यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति के लिए पहल की वकालत भी की गई।
इसमें कहा गया कि हम गहरी चिंता के साथ कह रहे कि अत्यधिक मानवीय पीड़ा हुई है और युद्धों एवं संघर्ष का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। यूक्रेन में युद्ध के संबंध में, बाली में चर्चा को याद करते हुए, हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनाए गए अपने राष्ट्रीय रुख और प्रस्तावों को दोहराया और रेखांकित किया कि सभी देशों को पूरी तरह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।
घोषणापत्र में कहा गया कि सभी देशों को किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ उसके भू-भाग पर कब्जे के लिए बल प्रयोग या धमकी देने से बचना चाहिए। परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या धमकी देना अस्वीकार्य है।
इसमें कहा गया कि हम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रतिकूल प्रभाव को दूर करने के अपने प्रयास में एकजुट रहेंगे और हम यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति का समर्थन करने वाली सभी प्रासंगिक, रचनात्मक पहल का स्वागत करेंगे।
2. आतंकवाद और धन शोधन का मुकाबला : जी20 ने कहा कि हम शांति के लिए सभी धर्मों की प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए असहिष्णुता, धर्म या विश्वास के नाम पर सभी तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।
घोषणापत्र में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर एक समग्र दृष्टिकोण आतंकवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है। आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह, गतिविधियां चलाने की स्वतंत्रता, आवाजाही और भर्ती के साथ-साथ वित्तीय, भौतिक या राजनीतिक समर्थन से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रभावशीलता बढ़ाने के प्रयासों को मजबूत किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि हम छोटे हथियारों और हल्के हथियारों की अवैध तस्करी के बारे में भी चिंता व्यक्त करते हैं। निर्यात, आयात नियंत्रण और पता लगाने सहित इन मामलों से निपटने के लिए देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है।
जी20 नेताओं ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की बढ़ती संसाधन जरूरतों को पूरा करने, एफएटीएफ की तरह क्षेत्रीय संस्थाओं और आपसी मूल्यांकन के अगले दौर सहित अन्य को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता जताई।
3. अर्थव्यवस्था एवं जलवायु : जी20 नेताओं ने महामारी से प्रभावित दुनिया में एक मजबूत, टिकाऊ और समावेशी विकास का आह्वान किया और कहा कि देशों को अपने जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए खरबों डॉलर की आवश्यकता होगी।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार करने, निम्न और मध्यम आय वाले देशों की ऋण संबंधी परेशानियों का प्रबंधन करने और 2027 तक क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर कर से संबंधित जानकारी के आदान-प्रदान की शुरुआत करने का भी आह्वान किया।
घोषणापत्र में कोयला आधारित बिजली के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने, अकुशल जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और विकासशील देशों के ऊर्जा संक्रमण के लिए कम लागत वाले वित्तपोषण के प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया गया।
इसमें कहा गया, हम समान विकास को बढ़ावा देने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बढ़ाकर, कमजोर लोगों की रक्षा करेंगे।
4. वैश्विक विकास : जी-20 नेताओं ने वृद्धि को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से जांची गईं मौद्रिक, राजकोषीय, वित्तीय और संरचनात्मक नीतियों की जरूरत दोहराई।
घोषणापत्र के अनुसार, वैश्विक नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि केंद्रीय बैंक अपने संबंधित आदेशों के अनुरूप मूल्य स्थिरता हासिल करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।
घोषणापत्र में कहा गया कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि अपने दीर्घकालिक औसत से नीचे है और असमान बनी हुई है। इसे देखते हुए माहौल को लेकर अनिश्चितता अधिक है।
वैश्विक वित्तीय स्थितियों में उल्लेखनीय सख्ती के साथ जोखिमों का संतुलन नीचे की ओर झुका हुआ है। यह सख्ती ऋण कमजोरियों, लगातार मुद्रास्फीति और भू-आर्थिक तनाव को और खराब कर सकती है।
नेताओं ने वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी), मानक निर्धारण निकायों (एसएसबी) और कुछ न्यायक्षेत्रों द्वारा उठाए गए शुरुआती कदमों का भी स्वागत किया। ये कदम यह जानने के लिए उठाए गए थे कि इस हालिया बैंकिंग उथल-पुथल से क्या सबक सीखा जा सकता है और उन्हें अपने जारी कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
5. बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) : हतर, बड़े और अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) के लिए प्रतिबद्ध जी-20 नेताओं ने वित्तीय संस्थानों से अधिकतम विकास प्रभाव बनाने के लिए नवीन वित्तपोषण मॉडल और नई साझेदारियों के माध्यम से निजी पूंजी का लाभ उठाने को कहा।
इसने एमडीबी पूंजी पर्याप्तता फ्रेमवर्क (सीएएफ) की जी20 स्वतंत्र समीक्षा की सिफारिशों को लागू करने के लिए कार्ययोजना का भी समर्थन किया और एमडीबी के अपने ढांचे के भीतर उनकी दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता, मजबूत क्रेडिट रेटिंग और पसंदीदा ऋणदाता स्थिति की सुरक्षा करते हुए इसके महत्वाकांक्षी कार्यान्वयन का आह्वान किया।
घोषणापत्र में कहा गया, “हम एमडीबी, विषय विशेषज्ञों और शेयरधारकों के साथ बातचीत सहित क्रमिक आधार पर कार्यान्वयन की प्रगति की नियमित समीक्षा का भी आह्वान करते हैं। हम सीएएफ सिफारिशों को लागू करने में उनकी प्रगति के लिए, विशेष रूप से जोखिम उठाने की क्षमता और वित्तीय नवाचार की परिभाषाओं को अपनाने के संबंध में एमडीबी की सराहना करते हैं।”
6. सीमा पार से भुगतान : घोषणापत्र में कहा गया, हम 2027 तक तेज, सस्ते, अधिक पारदर्शी और समावेशी सीमा पार भुगतान के वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जी20 रोडमैप के अगले चरण को लेकर प्राथमिकता वाले कार्यों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं और इस दिशा में एसएसबी (मानक निर्धारण निकायों) और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा की गई पहल का स्वागत करते हैं।
नेताओं ने सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्राओं (सीबीडीसी) की शुरूआत और इसे अपनाने से उत्पन्न होने वाले संभावित सूक्ष्म-वित्तीय विशेष रूप से सीमा पार भुगतान के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव के संबंध में चर्चा का भी स्वागत किया।
7. शिक्षा : मानव पूंजी विकास के समर्थन में निवेश के महत्व को स्वीकार करते हुए जी20 ने सभी शिक्षार्थियों के लिए डिजिटल विभाजन को दूर करने के वास्ते डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने और उभरते रुझानों एवं तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल रखने में शैक्षिक संस्थानों और शिक्षकों का सहयोग करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई।
जी20 के सदस्यों ने अपने नेताओं के घोषणापत्र में खुले, न्यायसंगत और सुरक्षित वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने और अनुसंधान एवं उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की गतिशीलता को प्रोत्साहित करने का समर्थन किया।
घोषणापत्र में कहा गया, हम सभी के लिए समावेशी, न्यायसंगत, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें कमजोर परिस्थितियों में रहने वाले भी शामिल हैं। हम मानव पूंजी विकास को बढ़ावा देने में निवेश के महत्व को पहचानते हैं। हम शिक्षा और रोजगार के प्राथमिक निर्माण खंड के रूप में मूलभूत शिक्षा (साक्षरता, संख्यात्मकता और सामाजिक भावनात्मक कौशल) के महत्व को समझते हैं।
8. कृषि : जी 20 नेताओं ने कहा कि वस्तुओं की बढ़ती कीमतें जीवनयापन की लागत पर दबाव डाल रही हैं और उन्होंने कृषि, खाद्य और उर्वरक क्षेत्र में खुले, निष्पक्ष, पूर्वानुमानयोग्य और नियम-आधारित व्यापार को सुविधाजनक बनाने तथा प्रासंगिक विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाने की प्रतिबद्धता जताई।
जी20 के सदस्य देशों ने विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के प्रयासों और क्षमताओं का समर्थन करने की भी प्रतिबद्धता जताई।
घोषणापत्र में कहा गया, हम खाद्य सुरक्षा और पोषण पर जी20 डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांतों 2023 के अनुरूप सभी के लिए वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
9. धर्म : जी20 ने व्यक्तियों, धार्मिक प्रतीकों और पवित्र पुस्तकों के खिलाफ धार्मिक घृणा के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा की।
घोषणापत्र में कहा गया, हम संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव ए/आरईएस/77/318, विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता, संवाद और सहिष्णुता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने की इसकी प्रतिबद्धता पर ध्यान देते हैं। हम इस बात पर भी जोर देते हैं कि धर्म या आस्था की स्वतंत्रता, विचार या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा का अधिकार और सहचर्य की स्वतंत्रता का अधिकार एक दूसरे पर आश्रित, अंतर-संबंधित और पारस्परिक रूप से मजबूत हैं।
जी20 ने भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की प्रतिबद्धता दोहराई और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सूचना साझा करने की व्यवस्था को मजबूत बनाने का आह्वान किया।
संयुक्त घोषणापत्र में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए संपत्ति वसूली तंत्र को मजबूत करने का भी आह्वान किया गया है। Edited by: Sudhir Sharma