Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या शिवजी को मिले इस श्राप के कारण कटा था गणेशजी का मस्तक?

हमें फॉलो करें shiv pariwar

अनिरुद्ध जोशी

श्री गणेश का जन्म भाद्रप्रद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दोपहर 12 बजे हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। आओ जानते हैं गणेशजी के मस्तक की कथा।
 
 
1. शनि की दृष्टी से कटा मस्तक : एक कथा के अनुसार शनि की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जलकर भस्म हो गया। इस पर दु:खी पार्वती (सती नहीं) से ब्रह्मा ने कहा- 'जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो।' पहला सिर हाथी के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश 'गजानन' बन गए।
 
2. शिवजी ने काटा मस्तक : दूसरी कथा के अनुसार गणेशजी को द्वार पर बिठाकर पार्वतीजी स्नान करने लगीं। इतने में शिव आए और पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे। गणेशजी ने जब उन्हें रोका तो क्रुद्ध शिव ने उनका सिर काट दिया। इन गणेशजी की उत्पत्ति पार्वतीजी ने चंदन के मिश्रण से की थी। जब पार्वतीजी ने देखा कि उनके बेटे का सिर काट दिया गया तो वे क्रोधित हो उठीं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने के आदेश पर हाथी के बच्चे का सिर लाया गया और उसे गणेशजी के धड़ के स्थान पर लगा दिया और वह जी उठा।
 
 
3. शिवजी को मिले श्राप के चलते काटा मस्तक : भगवान श्री गणेश के सिर कटने की घटना के पीछे भी एक प्रमुख किस्सा है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार किसी कारणवश भगवान शिव ने क्रोध में आकर सूर्य पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया था। इस प्रहार से सूर्यदेव चेतनाहीन हो गए। सूर्यदेव के पिता कश्यप ने जब यह देखा तो उन्होंने क्रोध में आकर शिवजी को श्राप दिया कि जिस प्रकार तुम्हारे त्रिशूल से मेरे पुत्र का शरीर नष्ट हुआ है, उसी प्रकार तुम्हारे पुत्र का मस्तक भी कट जाएगा। इसी श्राप के फलस्वरूप भगवान श्री गणेश के मस्तक कटने की घटना हुई।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रावण की मृत्यु का कारण बने ये 6 शाप