गणेश चतुर्थी के दिन गजमुख को प्रसन्न करने के लिए जो लोग भक्तिपूर्वक गणेश की पूजा करते हैं, उनके विघ्नों का सदा के लिए नाश होता है और कार्यसिद्धि होती रहती हैं। श्री गणेश के स्वरूप से मिलती है क्या खास शिक्षा....पढ़ें यहां ....
1> गणेश जी के कान सूपा की तरह हैं। जैसे सूपा का धर्म है 'सार-सार को गहि लिए और थोथा देही उड़ाय' सूपा सिर्फ अनाज रखता है। हमें कान का कच्चा नहीं सच्चा होना चाहिए। कान से सुनें सभी की, लेकिन उतारें अंतर में सत्य को।
2> गणेश जी की आंखें सूक्ष्म हैं जो जीवन में सूक्ष्म लेकिन तीक्ष्ण दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं।
3> नाक यानी सूंड जो हर गंध को (विपदा) को दूर से ही पहचान सकें। हमारी भी परिस्थितियों को भांपने की क्षमता ऐसी ही होनी चाहिए।
4> गणेशजी के दो दांत हैं एक अखंड और दूसरा खंडित। अखंड दांत श्रद्धा का प्रतीक है यानि श्रद्धा हमेशा बनाए रखनी चाहिए। खंडित दांत है बुद्धि का प्रतीक इसका तात्पर्य एक बार बुद्धि भ्रमित हो, लेकिन श्रद्धा न डगमगाए।