आदि देवता शिवपुत्र श्री गणेशजी का प्राकट्य भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। इस वर्ष सोमवार, 25 अगस्त 2017 से गणेश चतुर्थी का शुभारंभ हुआ है। विघ्नहर्ता, बुद्धि प्रदाता, लक्ष्मी प्रदाता गणेश को प्रसन्न करने का इससे अच्छा समय दूसरा नहीं है। प्रस्तुत है विशेष प्रयोग :
(1) श्वेतार्क- गणेश को पूर्वाभिमुख हो रक्त वस्त्र आसन प्रदान कर यथाशक्ति पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन कर लड्डू या मोदक का नेवैद्य लगाकर 'ॐ गं गणपतये नम:' की 21, 51 या 108 माला कर उपलब्ध साधनों से या केवल घी से 1 माला आहुति दें।
(2) विवाह कार्य या पारिवारिक समस्या के लिए उपरोक्त तरीके से पूजन कर 'ॐ वक्रतुंडाय हुं' का प्रयोग करें। माला मूंगे की हो।
(3) आकर्षण वशीकरण के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें।
(4) विघ्नों को दूर करने के लिए श्वेतार्क गणपति पर 'ॐ गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा' की 21 माला जपें।
(5) शत्रु नाश हेतु नीम की जड़ के गणपति के सामने 'हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा' का जप करें। लाल चंदन, लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं। पूजनादि कर मध्य पात्र में स्थापित कर दें तथा नित्य मंत्र जपें। शत्रु वशी हो तथा घोर से घोर उपद्रव भी शांत हो जाते हैं।
(6) शक्ति विनायक गणपति : इनकी आराधना करने से व्यक्ति सर्वशक्तिमान होकर उभरता है। उसे जीवन में कोई कमी महसूस नहीं होती है। कुम्हार के चॉक की मिट्टी से अंगूठे के बराबर मूर्ति बनाकर उपरोक्त तरीके से पूजन करें तथा 101 माला 'ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं' की जप कर हवन करें। नित्य 11 माला करें तथा चमत्कार स्वयं देख लें।
(7) लक्ष्मी विनायक गणेश : इनका भी प्रयोग उपरोक्त तरीके से कर निम्न मंत्र जपें- 'ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।' 444 तर्पण नित्य करने से गणेशजी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
(8) आधुनिक यु्ग में महत्वाकांक्षाओं के चलते मनुष्य शीघ्र ही कर्ज के जाल में फंस जाता है। लाख कोशिश करने पर भी उससे निकल नहीं पाता। दैवकृपा ही इस कष्ट से मुक्ति दिला सकती है। निम्न मंत्र की 108 माला कर यथाशक्ति हवन कर नित्य 1 माला करें, शीघ्र ही इस जंजाल से मुक्ति मिलेगी।