Ganga Saptami 2024: जह्नु ऋषि ने भागीरथ ऋषि का आग्रह स्वीकार किया और गंगाजी को अपने कान से बाहर निकाला। जिस समय यह घटना घटी थी, उस समय वैशाख पक्ष की सप्तमी तिथि थी, इसलिए इस दिन से गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन को गंगा का दूसरा जन्म माना और कहा भी जाता है। अत: जह्नु की कन्या होने की कारण ही गंगाजी को 'जाह्नवी' कहते हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन क्या करते हैं।
1. गंगा सप्तमी पर सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
2. यदि आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो स्नान के जल में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर स्नान कर लें।
3. गंगा सप्तमी पर देवी गंगा की विधिवत पूजा करते हैं। पूजा के दौरान घाट पर ही उन्हें फूल और माला अर्पित करते हैं।
4. इस दिन दीपदान भी किया जाता है। घाटों को दीपों सजाया जाता है।
5. जगमग दीपों के बीच गंगा आरती की जाती है।
6. इसके बाद गायत्री मंत्र और गंगा सहस्त्रनाम स्त्रोत का उच्चारण किया जाता है।
गंगा जयंती पर गंगा स्नान, पूजा और आरती का लाभ:
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एक बार भी गंगा नदी में डुबकी लगाने से अतीत और वर्तमान के सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है।
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मंगल दोष से प्रभावित जातकों को भी गंगा देवी की पूजा करनी चाहिए। इससे मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।
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जो गंगा नदी में स्नान करता है उसके जीवन के सभी दुख अवश्य ही दूर हो जाते हैं।
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