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Gangaur 2023: गणगौर पर्व के उपाय, मंत्र और सोलह श्रृंगार की दान सामग्री से मां पार्वती होंगी प्रसन्न

हमें फॉलो करें Gangaur 2023: गणगौर पर्व के उपाय, मंत्र और सोलह श्रृंगार की दान सामग्री से मां पार्वती होंगी प्रसन्न
gangaur teej 2023 
 
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार हर साल चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व (Gangaur 2023) के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गणगौर का त्योहाय 24 मार्च, शु्क्रवार को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती को प्रसन किया जाता है। 
 
प्रतिवर्ष गणगौर की शुरुआत फाल्गुन पूर्णिमा से होकर चैत्र शुक्ल तृतीया तक यह पर्व मनाया जाता है...। अत: गणगौर पर्व का समापन 24 मार्च 2023 को होगा।

आइए जानते हैं 5 मंत्र, 10 खास उपाय और 16 श्रृंगार की दान सामग्री के बारे में- 
 
गणगौर के मंत्र-Gangaur Mantra
 
1. गणगौर पूजा के दौरान 'ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः' मंत्र का जाप करते रहें।
 
2. 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:'।
 
3. 'श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥'
 
4. 'या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥' अर्थात- हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे मां, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करो।
 
5. 'ॐ महा गौरी देव्यै नम:' मंत्र की 21 माला जाप करें।
 
गणगौर के 10 उपाय-Gangaur Ke Upay
 
1. माता पार्वती को मालपुआ बहुत पसंद है। उन्हें भोग के रूप में अर्पित करके उसका दान करने से सभी तरह की समस्याओं का समाधान हो जाता है।
 
2. इस दिन व्रत रखने से कुंआरी कन्या को उत्तम पति मिलता है और सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।
 
3. माता गौरी को शकर का भोग लगाकर उसे दान करने से लंबी आयु प्राप्त होती है। जबकि शिव जी पर दूध चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार के दु:खों से छुटकारा मिलता है। 
 
4. इस दिन माता पार्वती को घी का भोग लगाने तथा इसका दान करने से सभी तरह के रोग और कष्टों से छुटकारा मिलता है।
 
5. इस दिन लाल एवं सफेद आंकड़े के फूल को भगवान शिव के समक्ष अर्पित करके इसी से उनका पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  
6. इस दिन अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
 
7. इस दिन भगवान शिव को चमेली के फूल अर्पित से वाहन सुख की प्राप्त होती है। 
 
8. सुहागिन महिलाएं पति से 7 जन्मों का साथ, स्नेह, सम्मान और सौभाग्य पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। 
9. विवाह में देर हो रही है तो इस दिन मां गौरी और भगवान शंकर का पूजन जरूर करें। ये पर्व मनचाहे वर और उत्तम जीवनसाथी की प्राप्‍ति के लिए बहुत शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
 
10. इस दिन माता गौरी को सुहाग की और भगवान शिव को सफेद वस्त्र अर्पित करें। पूजा के बाद बाद भोग लगाएं और फिर आरती करें। इस उपाय से घर परिवार में सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।
 
16 श्रृंगार दान सामग्री-16 Shringar Daan Samgri 
 
1. स्नान उबटन- श्रृंगारों का प्रथम चरण है स्नान। कोई भी और श्रृंगार करने से पूर्व नियमपूर्वक स्नान करते हैं। स्नान में शिकाकाई, भृंगराज, आंवला, उबटन और अन्य कई सामग्रियां मिलाते हैं। तब वस्त्र धारण करते हैं। दुल्हन हैं तो लाल रंग का लहंगा पहनती है, जिसमें हरे और पीले रंग का उपयोग भी होता। आप उबटन का दान कर सकते हैं।
 
2. सिंदूर- सिंदूर से मांग भरी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति की आयु वृद्धि होती है।
 
3. बिंदी- सुहागिन महिलाओं द्वारा कुमकुम की बिंदी को माथे पर लगाना पवित्र माना जाता है। यह गुरु के बल को बढ़ती है। 
 
4. काजल- काजल से आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है और इससे मंगलदोष भी दूर होता है।
 
5. चूड़ियां- चूड़ियां सुहाग का प्रतीक है। लाल रंग खुशी का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। 
 
6. मंगल सूत्र- मंगल सूत्र भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इसके काले मोती बुरी नजर से बचाते हैं। इसके अलावा गले में नौलखा हार या कहें कि स्वर्णमाला भी पहनते हैं। 
 
7. नथ- इसे नथनी भी कहते हैं। नाक में चांदी का तार या लौंग पहना जरूरी होता है। इससे जहां सुंदरता बढ़ती हैं वहं बुध का दोष भी दूर होता है।
 
8. गजरा- इसे वेणी या चूड़ा मणि भी कहते हैं। यह बालों में सुंदरता और सुगंध के लिए लगाया जाता है। 
 
9. मांग टीका- यह माथे के बीचोबीच पहना जाता है। यह विवाह के बाद शालीनता और सादगी से जीवन बिताने का प्रतीक है।
 
10. झुमके- इसे कुंडल और बाली भी कहते हैं। कानों में स्वर्ण बाली या झुमके पनहने से राहु और केतु का दोष दूर होता है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना।
 
11. बाजूबंद- यह सोने या चांदी का सुंदर सा कड़े की आकृति का जेवर रहता है जो बाजू में पहना जाता है। इससे परिवार के धन और समृद्धि की रक्षा होती है।
 
12. कमरबंद- इसे तगड़ी भी कहते हैं। यह कमर में पहना जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि सुहागिन आप अपने घर की मालकिन है। यह साड़ी को संभालकर भी रखता है। 
 
13. बिछिया- इसे बिछुआ भी कहते हैं। यह पैरों के अंगुली में पहनी जाती है। यह सूर्य और शनि के दोष दूर करती है और यह इस बात का प्रतीक भी है कि सुहागिन अब हर समस्याओं का साहस के साथ सामना करेगी।
 
14. पायल- इसे पाजेप भी कहते हैं। पायल और बिछिया दोनों ही चांदी की ही पहनते हैं।
 
15. अंगूठी- विवाह के पूर्व यह मंगनी के दौरान पति अपनी पत्नी को पहनाता है। 
 
16.  मेहंदी- मेहंदी से हाथों की सुंदरता बढ़ती है। मेहंदी लगाना शुभ होता है। कहते हैं कि इससे पति का प्यार मिलता है।
 
हालांकि पौराणिक समय में और भी कई तरह के 16 श्रृंगार होते थे, जिसमें अधरों और नख का रंगना, तांबूल आदि कई और भी श्रृंगार की सामग्री शामिल थी। इसके अलावा आजकल नेलपेंट और लिपस्टिक देने का भी प्रचलन हो चला है। 

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