भारतीय संविधान में भारत के हर नागरिक को समानता का अधिकार है। देश का संविधान बनाने में करीब 2 साल 11 माह 18 दिन का वक्त लगा। इतना अधिक समय लगने के पीछे का कारण था देश में फिर कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं हो। इसलिए संविधान में अल्पसंख्यक और पिछड़े लोगों का विशेष ध्यान रखा गया। हर साल 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं खास दिवस पर 10 बड़ी बातें -
- अल्पसंख्यक अधिकार दिवस की शुरुआत अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए किया जाता है। हर साल 18 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 18 दिसंबर 1992 को घोषणा कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के संरक्षण एवं उनके कल्याण सुनिश्चित करने की व्यवस्था करने की मांग की गई। यह घोषणा को यू.एन. डिक्लेरेशन ऑन माइनॉरिटी के नाम से जाना जाता है।
- अल्पसंख्यक समुदायों को विकास से जुड़ें, कल्याण से जुड़े मामलों में, अधिकार, शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक कार्यों में कल्याण हेतु जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
- भारत में राष्ट्र- राज्य में रहने वाले ऐसे समुदाय जिनकी संख्या कम है। जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हों। साथ ही प्रजाति, भाषा, धर्म या परंपरा बहुसंख्यकों से अलग लेकिन राष्ट्र निर्माण, एकता, सांस्कृतिक परंपरा, को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारत में कुछ समुदायों को अल्पसंख्यक के तौर पर चिन्हित किया गया है जिसमें मुस्लिम, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी और जैन समुदाय भी।
- भारत में अल्पसंख्यक होने का आधार भाषा और धर्म माना गया है। हालांकि यह बहुत बड़ा विषय है। धर्म-जाति के आधार पर अल्पसंख्यकों की पुष्टि करना। क्योंकि इसमें और भी कई सारे फैक्टर है जो इसे अलग कर सकते हैं।
- अल्पसंख्यक क्षेत्र विशेष में उनकी जाति, धर्म, संस्कृति, भाषा, परंपरा की सुरक्षित रहे यह मुख्य उद्देश्य है। हालांकि संविधान में भाषा और धर्म को अल्पसंख्यक माना गया है।
- भारत की कुल जनसंख्या में करीब 19 फीसदी ही अल्पसंख्यक समुदाय हैं।
- अल्पसंख्यक भारतीय संविधान की धारा 15 और धारा 16 के मौलिक अधिकारों में लिखा है। सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को उनका विशेष अधिकार मिले। ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा।
- भारत में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- भारत देश में अल्पसंख्यकों के लिए अलग से मंत्रालय है।
- भारत में अल्पसंख्यकों का मंत्रालय लोगों को उनके अधिकारों, रक्षा, सुरक्षा, शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक अधिकार, आर्थिक सशक्तिकरण, महिला सशक्तिकरण, समान अवसर, कानून के तहत सुरक्षा और संरक्षण आदि के प्रति लोगों को जागरूक करता है।