16 जनवरी को हर साल राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस मनाया जाएगा। 15 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने स्टार्टअप इकाइयों को नए भारत का 'आधार स्तंभ' बताते हुए इस दिवस को मनाने की घोषणा कि। इस दौरान पीएम मोदी ने विभिन्न क्षेत्रों के स्टार्टअप कोरोबारियों को वर्चुअल मोड पर संबोधित करते हुए बधाई दी। और कहा कि स्टार्टअप की यह संस्कृति देश के दूरदराज क्षेत्रों तक पहुंचे।इसलिए हर साल यह दिवस 16 जनवरी को मनाया जाएगा।
10 से 16 जनवरी तक सेलिब्रेटिंग इनोवेशन इको-सिस्टम, का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत पीएम मोदी ने संबोधित किया।
16 जनवरी को ही क्यों मनाया जाएगा स्टार्टअप दिवस
दरअसल, स्टार्टअप इंडिया की पहल को 16 जनवरी को 6 साल हो जाएंगे। और इस वर्षगांठ पर हर साल इस दिवस को मनाने की पहल की गई। कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान कहा स्टार्टअप नए भारत के आधार स्तंभ बनेंगे और देश भारत के लिए नवोन्मेष और भारत से नवोन्मेष के साथ आगे बढ़ेगा। उन्हें अपने सपनों को लोकल नहीं बल्कि वैश्विक बनाना है।
इनोवेशन में भारत की रैंकिंग
भारत की इनोवेशन रैंकिंग में काफी सुधार आया है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी भारत की रैकिंग 2015 में 81वें नंबर पर थी, वहीं अब यह 46वें पायदान पर आ गई।
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि,' साल 2021 में 42 कंपनियां यूनकॉर्न बनी। उन्होंने कहा, देश की कपंनियां तेजी से येनिकॉर्न की सेंचुरी लगाने की ओर तेजी से कदम बढ़ रही है।
आइए जानते हैं स्टार्टअप क्या होता है?
स्टार्टअप एक ऐसी ऑर्गेनाइजेशन होता है जिन्हें इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि एक बड़े स्केलेबल और रिपीटेबल बिजनेस मॉडल को प्राप्त किया जा सके। ये कंपनियां डवलेपमेंट के फेज में होती है। इन्हें मार्केट रिसर्च की जरूरत होती है।
स्टार्टअप एक छोटे से बच्चे की तरह होता है। जिसकी पूरी तरह से देखभाल करना जरूरी होता है। जिसे आगे बढ़ाने में समय भी लगता है। स्टार्टअप इस तरह के प्रोडक्ट और सर्विस लेकर आते हैं जो पहले मार्केट में कभी भी उपलब्ध नहीं थे। जिससे दूसरे लोगों को बहुत फायदा मिलता है।
गौरतलब है कि स्टार्टअप का आइडिया अक्सर निजी तजुर्बे से ही मिलता है।
स्टार्टअप और कॉर्पोरेट कंपनी के वातावरण में बहुत अंतर होता है। ताकि एम्प्लॉयी की काम करने के तरीके को बढ़ाया जा सकें। वह किसी तरह का भार महसूस नहीं करें। 1960 में सर डॉगलस मैक जॉर्जर ने एक अध्ययन किया था। जिसमें पाया था कि काम के जगह पर किसी प्रकार के तनाव, पनिशमेंट या रिवॉर्ड की जरूरत नहीं होती है वे अच्छे रिजल्ट के लिए बिना इंसेंटिव के भी मेहनत कर लेते हैं।
जब एम्प्लॉयी को किसी तरह का तनाव नहीं था ऐेसे में एम्प्लॉयी और रिसर्चर अपने कामों पर अधिक फोकस कर पा रहे हैं। इससे पूरी ओवरऑल प्रोडक्टीविटी बढ़ रही है।
स्टार्टअप में काम करने के फायदे
- अलग तजुर्बा होता है। कंपनी ग्रोथ बाद में करती है पहले उसे स्थापित करना होता है। उसकी शुरूआत कैसे करना है इसका अनुभव बहुत जरूरी है।
- सिखने के लिए बहुत कुछ होता है।
- एम्प्लॉयीज बिना किसी supervision के काम करते हैं।
- अपने युनिक आइडिया का प्रयोग कर सकते हैं।
- घर से भी काम कर सकते हैं।
- कैजुएल वातावरण होता है।
स्टार्टअप में काम करने के नुकसान
- वर्कलोड बहुत होता है।
- जॉब सिक्योरिटी का टेंशन होता है।
- आपकी मेहनत और आइडिया पर विश्वास करना।
- ज्यादा नहीं कमा सकते हैं।
- सोशल लाइफ बहुत अधिक नहीं होती है।