मुंबई नगरी पर 4 दशक तक राज करने वाले बाला साहेब ठाकरे आज भी लोगों के दिल में जिंदा हैं। लोग उन्हें हिंदू हृदय सम्राट कहकर बुलाती थी। बाला साहेब ठाकरे का नाम बाल केशव ठाकरे था लेकिन वह बाला साहेब ठाकरे के नाम से प्रचलित थे। 17 नवंबर 2012 को बाला साहेब ठाकरे का निधन हुआ था। शिवसेना के संस्थापक रहे बाला साहेब ठाकरे के बारे में जानते हैं कुछ रोचक किस्से जिससे आज भी कई लोग अनजान है।
1. बाला साहेब ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत एक दैनिक अखबार में कार्टूनिस्ट के तौर पर की थी। लेकिन उन्हें काम में मजा नहीं आया और नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद से राजनीतिक साप्ताहिक मार्मिक की शुरुआत की। जिसका उद्देश्य था गैर-मराठियों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ अभियान। 1966 में इस अभियान में सफलता मिलने के बाद बाला साहेब ने शिवसेना पार्टी की स्थापना का विचार आया।
2. बाला साहेब ठाकरे चांदी के सिंहासन पर बैठने के शौकीन थे।
3.बाला साहेब ठाकरे की राजनीति पर अच्छी पकड़ थी। इसी के साथ वे अच्छे प्रवक्ता भी थे। वे हमेशा देखे बिना भाषण देते थे। उन्हें सुनने के लिए हजारों की तादाद में भीड़ इकट्ठा होती थी।
4. बाला साहेब ठाकरे ने अनुठे अंदाज में शिवसेना का गठन किया था। उन्होंने 19 जून 1966 में शिवाजी पार्क में नारियल फोड़ कर शिवसेना पार्टी का गठन किया था।
5.बाला साहेब ठाकरे की खासियत थी कि वह कभी किसी से मिलने नहीं गए। बड़ी से बड़ी शख्सियत उनसे मिलने उनके निवास मातोश्री पहुंचती थी।
6. बाला साहेब ठाकरे देश में सबसे अधिक चर्चित शख्सियत में से एक रहे। उनके शौक भी चर्चा का विषय रहे। जी हां, उन्हें रेड वाइन और सिगार का बहुत शौक था। उनके कई सारे फोटो है जिसमें वह हाथ में सिगार लिए हुए है। आखिरी दम तक वह सिगार पीते रहे।
7. महाराष्ट्र में सरकार बनाने में उनकी अहम भूमिका रही लेकिन उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा।
8.भारत के सबसे मशहूर क्रिकेटर रहे सचिन तेंडुलकर को बाला साहेब बहुत पसंद करते थे। लेकिन एक बार सचिन ने कह दिया था, 'कि महाराष्ट्र पर पूरे हिंदुस्तान का हक है।' सचिन के इस बयान पर बाला साहेब ठाकरे बुरी तरह से बिफर गए थे। और उन्होंने कह दिया था, 'वह क्रिकेट की पिच पर रहे,राजनीति हमें खेलने दें।'
9.बाला साहेब ठाकरे स्पष्टवादी थे। उन्हें कभी किसी का भय नहीं रहा। बाला साहेब ठाकरे ने सोनिया गांधी की राजनीति में आलोचना करते हुए कहा था। वह इस देश पर राज करें इससे बेहतर होगा यह देश फिर से अंग्रेजों को सौंप दिया जाए। मैं सत्ता में अधिक अनुभव रखने वालों को देश सौंपना पसंद करूंगा।
10.17 नवंबर 2012 में जब बाला साहेब ठाकरे का निधन हुआ था तो पूरी मुंबई में सन्नाटे की लहर पसर गई थी। उस दिन पूरा मुंबई बंद था। उनकी अंतिम यात्रा में करीब 5 लाख लोग शामिल हुए थे। पहले ऐसे शख्स रहे उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई।