पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की गतिशील बर्फराशि को ग्लेशियर कहते हैं...
इसे हिमानी या हिमनद और अंग्रेज़ी में Glacier कहा जाता है...
पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की वह गतिशील बर्फराशि जो अपने भार के कारण पर्वतीय ढालों के पीछे नीचे की ओर प्रवाहमान होती है, ग्लेशियर कहलाती है।
यह हिमराशि सघन होती है और इसकी उत्पत्ति ऐसे इलाकों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा हिम के क्षय से अधिक होती है और प्रतिवर्ष कुछ मात्रा में हिम यानी बर्फ कुछ खास रूप में बच जाता है। वर्ष दर वर्ष हिम के एकत्र से निचली परतों के ऊपर दबाव पड़ता है और वे सघन हिम (Ice) के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं।
यही सघन हिमराशि अपने भार के कारण ढालों पर प्रवाहित होती है जिसे हिमनद कहते हैं। प्रायः यह हिमखंड नीचे आकर पिघलता है और पिघलने पर जल देता है।
पृथ्वी पर 99% हिमानियाँ ध्रुवों पर ध्रुवीय हिम चादर के रूप में हैं। इसके अलावा गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों के हिमनदों को अल्पाइन हिमनद कहा जाता है और ये उन ऊंचे पर्वतों के सहारे पाए जाते हैं जिन पर वर्ष भर ऊपरी हिस्सा हिमाच्छादित रहता है।
ये हिमानियाँ समेकित रूप से विश्व के मीठे पानी (freshwater) का सबसे बड़ा भण्डार हैं और पृथ्वी की धरातलीय सतह पर पानी के सबसे बड़े भण्डार भी यही मानी जाती हैं।
प्रकृति पर जब-जब अतिरिक्त दबाव बनता है तब-तब ग्लेशियर टूटते हैं....