अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की शुरुआत साल 2020 से हुई है। लेकिन भारतीयों के किसी भी चीज की शुरुआत चाय के साथ होती है। जी हां, फिर सुबह हो, दोस्ती हो, किसी चीज का सुलह करना हो या किसी के साथ समय बिताना हो। भारत में यह कहा जा सकता है कि जिसके साथ भी हर दिन एक चाय पीते हैं उनके रिश्ते अधिक प्रगाढ़ होते हैं। अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 21 मई 2021 को दूसरी बार मनाया गया है। हालांकि हर साल 15 दिसंबर को अन्य देशों में चाय दिवस मनाया जाता है। लेकिन भारत ने चाय दिवस मनाने के लिए मई महीना चुना। 21 मई 2023 को चौथी बार अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है...
इस दिन को मनाने का उद्देश्य
पानी के बाद सबसे अधिक पीने वाला पेय चाय ही है। चाय दिवस को मनाने का उद्देश्य है गरीब लोगों को इसके आर्थिक लाभ मिलने के बारे में जागरूक करना। खासकर उन क्षेत्रों में जहां इसकी पैदावार अधिक होती है। समूचे विश्व में चाय की डिमांड बहुत अधिक है लेकिन इसका व्यापार इतने बड़े स्तर पर नहीं है।
आर्थिक सहायता के साथ ही यह हेल्थ के लिहाज से भी लाभदायक है। जी हां, इसे पीने से मोटापा, मतली और चयापचय जैसी बीमारियों में राहत मिलती है।
चाय का भौगोलिक क्षेत्र में महत्व
चाय का उत्पादन अधिकतम एशिया महाद्वीप में होता है। जिसमें चीन, भारत, नेपाल, श्रीलंका, केन्या जैसे देश शामिल हैं। उपरोक्त देशों में यह वर्ग और क्षेत्र दोनों के लिहाज से एक सामान्य पेय है। साथ ही इसकी सबसे बड़ी खासियत यह आसानी से और कम लागत में उपलब्ध हो जाती है।
चाय का आर्थिक क्षेत्र में महत्व
चाय की सबसे अधिक पैदावार आमतौर पर एशिया में होती है। विश्व में सबसे अधिक पाए जाने के बाद भी गरीब लोग बहुत अधिक नहीं कमा पाते हैं। इसके लिए एक सुचारू रूप से व्यवसाय होना जरूरी है। ताकि गरीब लोगों द्वारा की जा रही मेहनत की लागत निकल सकें।
चाय का इतिहास
विश्व में चाय उत्पादक देश 2005 से 15 दिसंबर को हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाते हैं। 2015 में, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के माध्यम से चाय दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 21 दिसंबर 2019 को एक संकल्प के माध्यम से हर साल 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में घोषित किया।