1 अप्रैल को दुनियाभर में अप्रैल फूल डे यानी कि मूर्ख दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का तरीका ये होता है कि इस दिन दूसरों से शरारतें कर उन्हें मूर्ख या उल्लू बनाना का प्रयास किया जाता है। खास बात ये है कि इस दिन पर किए गए मजाक का कम ही लोग बूरा मानते है। अप्रैल फूल डे मनाने का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं होता, बल्कि केवल थोड़ी मस्ती, शरारत करके हंसी मजाक करना होता है।
आइए, जानते हैं कि आखिर क्यों और कब से मनाया जाता है अप्रैल फूल डे-
19वीं शताब्दी से, अप्रेल फूल प्रचलन में है। हालांकि इस दिन कोई छुट्टी नही होती। अंग्रेजी साहित्य के पिता ज्योफ्री चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) ऐसा पहला ग्रंथ है जहां 1 अप्रेल और बेवकूफी के बीच संबंध स्थापित किया गया था।
अपने पहचान वालों को बिना अधिक परेशान किए, मजाक के लिए शरारतें करने का यह उत्सव हर देश में मनाया जाता है। माना जाता है कि अप्रेल फूल मनाने की प्रेरणा रोमन त्योहार हिलेरिया से ली गई है। इसके अलावा भारतीय त्योहार होली और मध्यकाल का फीस्ट ऑफ फूल (बेवकूफों की दावत) भी इस त्योहार की प्रेरणा माने जाते हैं।
चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) एक कहानियों का संग्रह थी। उसमें एक कहानी 'नन की प्रीस्ट की कहानी' मार्च के 30 दिन और 2 दिन में सेट थी। जिसे प्रिटिंग की गलती समझा जाता है और विद्वानों के हिसाब से, चौसर ने असल में मार्च खत्म होने के बाद के 32 दिन लिखे। इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था।
1539 में फ्लेमिश कवि एडवर्ड डे डेने ने एक ऐसे ऑफिसर के बारे में लिखा जिसने अपने नौकरों को एक बेवकूफी की यात्रा पर 1 अप्रेल को भेजा था। 1968 में इस दिन को जॉन औब्रे ने मूर्खों का छुट्टी का दिन कहा क्योंकि, 1 अप्रेल को बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाकर, लंदन के टॉवर पर एकत्रित किया गया था।