Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

संविधान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

हमें फॉलो करें संविधान दिवस  कब और क्यों मनाया जाता है?
हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। जिसे बनाने में अहम भूमिका डॉ. भीम राव अंबेडकर की हैं। जिन्होंने संविधान को आम सहमति से बनाया है बजाए के बहुमत के। डॉ भीमराव अंबेडकर के अलावा जवाहरलाल नेहरू,डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्‍लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद की अहम भूमिका रही। विश्व का सबसे बड़ा संविधान लिखने के पहले डॉ भीमराव अंबेडकर ने गहराई से अध्ययन किया था। इसके बाद 10 देशों से अलग-अलग नियम और प्रक्रिया को लिया। इस तरह करीब 1 लाख 40 हजार शब्दों से भारत का संविधान तैयार किया गया। इस तैयार किए गए मसौदे को संविधान दिवस के साथ ही कानून दिवस भी कहते हैं। आइए जानते हैं क्यों ?

26 नवंबर को देश के लिए सबसे बड़ा दिन है। इस दिन को संविधान दिवस तो कहा जाता है साथ ही इसे राष्ट्रीय कानून दिवस भी कहा जाता है। दरअसल 1949 में 26 नवंबर ही वो खास दिन था जिस दिन संविधान को देश के समक्ष पेश किया गया था। हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। लेकिन कानून बनने के बाद ही एक्ट लागू कर दिए गए थे। इसलिए कानून दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

आइए जानते हैं संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?

दरअसल,  2 साल 11 महीने और 18 दिन में तैयार किए गए संविधान दिवस को 26 नवंबर 1949 को ही विधिवत तरीके से अपनाया गया था। और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था। भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के बारे में पता होना चाहिए। इसके बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से फैसला लिया गया। 19 नवंबर 2015 के दिन सामाजिक न्‍याय मंत्रालय द्वारा यह फैसला लिया गया कि 26 नवंबर को भारत सरकार संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू की जाएगी और इसके बाद से हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है।

इस संविधान को बनाना इसलिए जरूरी था क्‍योंकि करीब 200 साल बाद अंग्रेजों के हुकूमत का कार्यकाल खत्म हुआ। इसके बाद देश को ऐसा नियम, कानूनों की जरूरत थी ताकि देश में रहने वाले लोग, विभिन्न धर्मों के बीच एक समानता और एकता मिल सके। ताकि देश में रहने वाले भिन्‍न-भिन्‍न लोगों को समाज, आयु, वर्ग बिना किसी भेदभाव के समानता के अधिकार के साथ रह सकें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

तलाक-ए-हसन का मुद्दा क्या है: गुड़ खाएं, गुलगुले से परहेज करें...