अंग्रेज़ भारत छोड़ गए पर बदले में sorry शब्द दे गए। ये वाक्य आपने कई बार सुना होगा। गलती होने पर हम अक्सर अंग्रेजी शब्द sorry का ही इस्तेमाल करते हैं। अगर आज के समय में आपसे कोई सॉरी की जगह 'मुझे माफ़ करना' या 'मुझे श्रमा करना' बोल दे तो आप उसे 2 बार पलटकर देखेंगे। किसी व्यक्ति को इंग्लिश आए या नहीं पर उसे thankyou और sorry शब्द अच्छे से पता होता है। लोगों को माफ करना बहुत मुश्किल होता है। भले ही हम सामने वाले से बोल दें पर कहीं न कहीं हमारे अंदर नाराज़गी बनी रहती है। सॉरी शब्द भले ही कितना आम हो पर इस शब्द को बोलने के लिए आपको काफी हिम्मत और मासूमियत की ज़रूरत होती है। सॉरी के महत्व कई है और इन्हीं महत्व को ध्यान में रखते हुए हर साल 26 मई को नेशनल सॉरी डे (national sorry day) मनाया जाता है। चलिए जानते हैं कि क्या है नेशनल सॉरी डे......
क्या है नेशनल सॉरी डे?
ऑस्ट्रेलिया में हर साल 26 मई को राष्ट्रीय क्षमा दिवस मनाया जाता है। दरअसल 20वीं सदी के दौरान स्वदेशी बच्चों को जबरन उनके परिवारों से निकाल दिया गया ताकि उन्हें सफेद ऑस्ट्रेलियन संस्कृति में "आत्मसात" किया जा सके। इसी कारण से उन्हें "स्टोलन जनरेशन" के रूप में जाना जाता है। स्वदेशी ऑस्ट्रेलियन लोगों से इस व्यवहार के लिए आधिकारिक रूप से माफ़ी मांगने के लिए कई ऑस्ट्रेलियन सरकारी प्रशासनों को आना और जाना पड़ा। आखिरकार इस माफ़ी को आधिकारिक बना दिया गया और मूल परिवारों को अलग करने के कारण हुए नुकसान की मरम्मत के लिए आज भी कार्रवाई की जा रही है।
क्या है नेशनल सॉरी डे का इतिहास?
सबसे पहला नेशनल सॉरी दिवस 1998 को मनाया गया था। ये दिवस bringing them home रिपोर्ट के आने के एक साल बाद मनाया गया था। 2008 में ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री केविन रड ने फॉर्मल माफ़ी मांगी थी। इसके बाद साल 2005 में 'नेशनल डे ऑफ़ हीलिंग मनाया गया।
नेशनल सॉरी पर विचार
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कमज़ोर व्यक्ति कभी श्रमा नहीं कर सकता, श्रमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है। - महात्मा गांधी
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माफ करना मतलब किसी कैदी को आज़ाद करना है और ये जानना है कि आप ही वो कैदी थे।
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गलतियां हमेशा श्रम्य होती हैं, यदि व्यक्ति में उन्हें स्वीकार करना का साहस हो।
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माफ़ी मांगने से आप खुद को एक नई शुरुआत का मौका देते हैं।
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अक्सर श्रमा मांगना अनुमति मांगने से आसान होता है।