Republic Day Parade: सबसे पहले गणतंत्र दिवस की परेड कहां हुई थी?
गणतंत्र दिवस की पहली परेड राजपथ पर नहीं बल्कि यहां हुई थी
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे।
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गणतंत्र दिवस के पहले चीफ गेस्ट इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे।
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पहली बार 30 तोपों की सलामी दी गई थी।
Republic Day Parade : 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ और स्वतंत्र भारत का पहला संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इस दिन हर स्कूल, कॉलेज, प्राइवेट एवं सरकारी संस्था में इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।इस दिन परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। साथ ही इस दिन स्कूल, ऑफिस और अन्य संस्था की छुट्टी होती है। हर साल गणतंत्र दिवस (Republic Day 2024) की परेड देश की राजधानी दिल्ली के राजपथ पर होती है।
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इस परेड के लिए मुख्य अतिथि भी बुलाए जाते हैं, यह अतिथि किसी अन्य देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति होते हैं। भारत के लिए गणतंत्र दिवस का बहुत महत्व है। गणतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है, गण यानी जनता और तंत्र का अर्थ है प्रणाली। इसका अर्थ है कि जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली को गणतंत्र कहा जाता है। इसलिए देश में इस पर्व का बहुत महत्व है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले गणतंत्र दिवस की परेड कहां हुई थी?
कहां हुई थी पहले गणतंत्र दिवस की परेड?
हर साल गणतंत्र दिवस की परेड दिल्ली के राजपथ पर होती है। 1950 को संविधान लागू होने के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। डॉ राजेंद्र से राष्ट्रपति की शपथ लेते हुए दिल्ली के पुराने किले के सामने इरविन स्टेडियम पर तिरंगा फहराया था। इसके साथ ही इरविन स्टेडियम पर पहली बार गणतंत्र दिवस की परेड आयोजित हुई थी।
कौन थे पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि?
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर मौजूद थे। साथ ही पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया से मेहमान भी आए थे। आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस के पहले चीफ गेस्ट इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे।
30 तोपों की सलामी दी गई थी
जब पहली बार गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया गया तब उसके बाद तोपों की सलामी भी दी गई थी। इन तोपों की आवाज से पूरी दिल्ली गूंज उठी थी। आपको बता दें कि पहली बार 30 तोपों की सलामी दी गई थी। इसके साथ ही पहले गणतंत्र दिवस पर FlyPast भी हुआ था। हालांकि कुछ सालों बाद तोपों की सलामी को घटाकर 21 कर गई थी।