' आने वाला समय उनका है जिन्होंने विज्ञान को स्वीकार किया है'। यह बात पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1940 के दशक में कही थी। 40 के दशक बहुत लंबा अंतर होता है। पर आज यह कटु सत्य है कि विज्ञान को स्वीकारने वाले तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बदलते दौर में और कोरोना काल में विज्ञान के नए-नए आयाम सामने आए है। काम करना आसान हो गया। इंसान घर बैठकर पूरी दुनिया मापने लगा है। इस कदर विज्ञान का महत्व बढ़ रहा है। और आने वाले वक्त में यह तेजी से बढ़ेगा। एक वक्त था जब ज्ञान को विकसित किया जा रहा था..उससे नए-नए आविष्कार किए जा रहे थे। लेकिन दुनिया आज उस मुकाम पर पहुंच गई है कि विज्ञान इंसानों की जरूरत बन गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान का महत्व बढ़ा है तो विज्ञान का दखल भी। जिसके अच्छे परिणाम के साथ दुष्परिणाम भी है। लेकिन कम समय में कार्य को अधिक करने की क्षमता विज्ञान के बदौलत हुई है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बार संबोधन के दौरान कहा था 'राजनीति और धर्म पुराने हो चुके हैं, अब समय आ गया है विज्ञान और अध्यात्म का।' और यह सत्य है। आज राजनीतिक पार्टियों को बहुतायत प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहा है। यह आज की बात नहीं 70 साल पहले ही इस बात को पंडित नेहरू ने कह दिया था समय विज्ञान का है। आने वाला समय विज्ञान का ही होना है। क्योंकि अब कोविड के बाद से समय पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया है। कहानी या किस्से को इस तरह संबोधित किया जाता है कि 'कोविड के पहले' और 'कोविड के बाद' और जो बदलाव तेजी से छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए किए गए है उससे विज्ञान को लेकर आत्मविश्वास गहरा हो गया है।
विज्ञान ने वर्तमान में इंसानों को अपनी आगोश में ले लिया है। विज्ञान को बदलने का हुनर वैज्ञानिकों में बखूबी है। नित नए आविष्कारों से जीवनशैली पर अच्छे और बुरे बदलाव दोनों सामने आ रहे है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज का युग विज्ञान का युग बन चुका है।