Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन नववर्ष आरंभ होने के 8 कारण

हमें फॉलो करें चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन नववर्ष आरंभ होने के 8 कारण
नववर्ष को भारत के प्रांतों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार मनाया जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण तिथियां मार्च और अप्रैल के महीने में आती हैं। इस नववर्ष को प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। फिर भी पूरा देश चैत्र माह प्रतिपदा से ही नववर्ष की शुरुआत मानता है और इसे नव संवत्सर के रूप में जाना जाता है। गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है।
 
 
1. इस समय अर्थात वसंत ऋतु में वृक्ष पल्लवित हो जाते हैं। उत्साहवर्धक और आल्हाददायक वातावरण होता है। ग्रहों की स्थिति में भी परिवर्तन आता है। ऐसा लगता है कि मानो प्रकृति भी नववर्ष का स्वागत कर रही है। 
 
2. इस दिन प्रभु श्रीराम ने बाली का वध किया। इसी दिन को भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था और पूरे अयोध्या नगर में विजय पताका फहराई गई थी।
 
3. इस विक्रम संवत में नववर्ष की शुरुआत चंद्रमास के चैत्र माह के उस दिन से होती है जिस दिन ब्रह्म पुराण अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। 
 
4. इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है।
 
5. इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से नवरात्र की शुरुआत भी मानी जाती है।
 
6. सृष्टि की निर्मिति से संबंधित प्रजापति तरंगें इस दिन पृथ्वी पर सर्वाधिक मात्रा में आती हैं। गुढ़ी पूजन से इन तरंगों के पूजन से वर्ष भर लाभ होता है।
 
7. साढे तीन मुहूर्तों में से एक : वर्षप्रतिपदा साढ़े तीन मुहूर्तों में से एक है, इसलिए इस दिन कोई भी शुभकार्य कर सकते हैं। इस दिन कोई भी घटिका (समय) शुभमुहूर्त ही होता है।
 
8. इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है। ज्योतिषियों के अनुसार इसी दिन से चैत्री पंचांग का आरम्भ माना जाता है, क्योंकि चैत्र मास की पूर्णिमा का अंत चित्रा नक्षत्र में होने से इस चैत्र मास को नववर्ष का प्रथम दिन माना जाता है।
 
9. हिन्दू कैलेंडर सौरमास, नक्षत्रमास, सावन माह और चंद्रमास पर आधारित है। मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क आदि सौरवर्ष के माह हैं। यह 365 दिनों का है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि चंद्रवर्ष के माह हैं। चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है, जो चैत्र माह से शुरू होता है। सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बढ़े हुए दिनों को मलमास या अधिमास कहते हैं। तीसरा नक्षत्रमाह होता है। लगभग 27 दिनों का एक नक्षत्रमास होता है। नक्षत्रमास चित्रा नक्षत्र से प्रारंभ होता है। चित्रा नक्षत्र चैत्र मास में प्रारंभ होता है। सावन वर्ष 360 दिनों का होता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।
 
10. चैत्र माह से ही पुराने कामकाज को समेटकर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती है। इस धारणा का प्रचलन विश्व के प्रत्येक देश में आज भी जारी है। आज भी भारत में चैत्र माह में बहिखाते नए किए जाते हैं।
 
रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। नववर्ष के ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से घर में सुगंधित वातावरण कर दिया जाता है। घर को ध्वज, पताका और तोरण से सजाया जाता है।
ब्राह्मण, कन्या, गाय, कौआ और कुत्ते को भोजन कराया जाता है। फिर सभी एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं। एक दूसरे को तिलक लगाते हैं। मिठाइयाँ बाँटते हैं। नए संकल्प लिए जाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नवरात्रि में करें इन नौ देवियों सहित 10 महाविद्याओं की पूजा