Gudi Padwa 2022: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष जिसे नव संवत्सर कहते हैं कि शुरुआत होती है। इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, कर्नाटक में युगाड़ी, आंध्र प्रदेश व तेलांगना में उगाड़ी, केरल एवं गोवा में संवत्सर पड़वो, तमिलनाडु में युगादि, कश्मीर में नवरेह, सिंध में चेटीचंड, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा के नाम से मनाया जाता है। इसी तरह प्रत्येक राज्य में इसे अलग अलग नाम से पुकारा जाता है। आओ जानते हैं महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा पर गुड़ी कैसे बनाते हैं और क्या है जरूरी सामग्री।
कैसे बनाते हैं गुड़ी : इस दिन घर के द्वार को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। प्रवेश द्वार को आम के पत्तों का तोरण बनाकर लगाया जाता है और सुंदर फूलों से द्वार को सजाया जाता है। इसके साथ ही रंगोली बनाई जाती है। गुड़ी पड़वा के अनुष्ठान सूर्योदय से पहले आरंभ हो जाता है लोग प्रातः जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करते हैं।
1. गुड़ी के लिए लकड़ी का एक दंड लें।
2. दंड को साफ धो लें और उसके उपर रेशमी कपड़ा या साड़ी बांधें।
3. एक नीम की टहली, आम के पांच पत्ते, एक फूलों की माला, एक शक्कर की माला को लगाएं और उसके उपर से तांबा पितल या चांदी का लोटा या गिलास रखें।
4. जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो उस स्थान को साफ और स्वच्छ कर लेना चाहिए।
5. गुड़ी रखने वाले स्थान पर पहले रंगोली बनाई जाती है, वहां एक पाट रखा जाता है और उसके ऊपय वह दंड रखा जाता है।
6. तैयार गुड़ी को घर के दरवाजे पर, ऊंची छत पर या गैलरी में यानि किसी ऊँचे स्थान पर लगाई जाती है।
7. गुड़ी को अच्छी तरह से बांधकर और उस पर सुगंध, फूल और अगरबत्ती लगाकर गुड़ी की पूजा करनी चाहिए।
8. अगरबत्ती लगाने के बाद दीपक से गुड़ी की पूजा करते हैं।
9. फिर दूध-चीनी, पेड़े का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
10. दोपहर के समय गुड़ी को मीठा प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस दिन परंपरा के अनुसार श्रीखंड-पुरी या पूरनपोली का भोग लगाया जाता है।
11. शाम को सूर्यास्त के समय हल्दी-कुमकुम, फूल, अक्षत आदि अर्पित करके गुड़ी को उतारा जाता है।
12. इस दिन सभी हिन्दू एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं।
गुड़ी की सामग्री : एक डंडा, रेशमी साड़ी या चुनरी, पीले रंग का कपड़ा, फूल, फूलों की माला, कड़वे नीम के पांच पत्ते, आम के पांच पत्ते, रंगोली, प्रसाद और पूजा सामग्री।