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हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत: कैसा होगा कीलक नाम संवत्सर

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

सृष्टि संवत 1,95,58,85,116 के अंतर्गत श्री विक्रम संवत 2072, कलि संवत 5116, श्रीकृष्ण संवत 5251, सप्तर्षि संवत 5091, श्रीबुद्ध संवत 2638-39, श्रीमहावीर निर्वाण संवत 2540-41, शक संवत 1937-38, हिजरी संवत 1436-37, इंग्लिश संवत 2015-16 ईस्वी, फलसी संवत 1422-23, खालसा संवत 316-17, नानकशाही संवत 546-47, सृष्टि संवत के अंतर्गत सतयुग प्रमाण 17,28,000, त्रेतायुग 12,96,000, द्वापर युग का प्रमाण 4,32,000 वर्षों का होता है।


 
कीलक नाम संवत्सर के बारे में कहावत है कि यह जब भी आता है, तब फसलों को क्षति पहुंचाता है। अतिवृष्टि, अकाल जैसी स्थिति, चूहों से भय, कीट-पतंगों से फसलों को नुकसान होता है। प्रशासक व जनता में टकराव की स्थिति बनती है। वर्षा के मौसम में वर्षा अनुकूल होने के साथ वर्षा के मौसम की फसलों को लाभ मिलता है।
 
गुरु मान से शिव विंशति के अंतर्गत 'कीलक’ नाम का नया विक्रम संवत 2072 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात 21 मार्च 2015 ई. तदनुसार नवसंवत् प्रवेश 21/15 प्रविष्टे 8 चैत्र, शनिवार से प्रारंभ होगा। शनिवार से प्रारंभ होने से आगामी वर्ष का राजा भी शनि होगा। मंत्री मंगल, शस्येश गुरु, धान्येश बुध, मेघेश चन्द्र, रसेश शनि, नीरसेश गुरु, फलेश चन्द्र, धनेश गुरु, दुर्गेश चन्द्र होंगे। 

 
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इनका फल इस प्रकार है-
 
यदि शनि वर्ष का राजा होता है तो बेमौसम वर्षा होने से विचित्र बीमारियों से जन-धन की हानि होती है। कहीं-कहीं भूमंडल पर युद्ध की स्थिति बनती है। नेताओं में परस्पर विरोध के स्वर तेज होते हैं। लूटमार, दुर्घटना से परेशान पलायन की स्थिति बनती है।
 
जब मंगल मंत्री हो तो लूट, आतंकी घटना, विविध रोगों से जनता परेशान होती है। दूध की कमी, सोना, तांबा व लाल रंग की वस्तुएं भी महंगी होती हैं।
 
जब शस्येश गुरु हो तो धर्म-कर्म से सुख-शांति रहे। वर्षा अधिक हो, पैदावार भी अधिक हो। खेती-व्यवसायी को लाभ मिलता है।
 
जब धन्येश बुध हो तो वर्षा उत्तम हो, सभी प्रकार की फसलें अच्छी हों। पंजाब व हरियाणा प्रदेश में कम वर्षा से पैदावार कम हो।
 
जब मेघेश चन्द्र हो तो गाय-भैंस, बकरी आदि दूध अधिक दे। फसलें अच्छी हों। महिला जगत सुखी रहे।
 
जब रसेश शनि हो तो रसदार वनस्पति की पैदावार कम हो। अनेक प्रकार के रोग हों। आपसी प्रेमभाव कम हो।
 
जब नीरसेश गुरु हो तो हल्दी व पीले वस्त्र, पीली धातुओं की कीमतों में वृद्धि होती है। धार्मिक भावना में वृद्धि हो।
 
जब फलेश चन्द्र हो तो न्याय क्षेत्र प्रबल हो, विद्वानजन सम्मानित होएं। मौसमी पैदावार उत्तम हो। राजनेता की यात्राएं विदेशों में अधिक हों।
 
जब धनेश गुरु हो तो व्यापारी वर्ग लाभान्वित हो। कुछ खास लोगों की संपत्ति में वृद्धि हो। पैदावार अच्छी हो।
 
जब दुर्गेश चन्द्र हो तो चन्द्रमा सेना का स्वामी हो तो उस वर्ष राजनेता सुचारु रूप से शासन करे। लोगों में प्रसन्नता का वातावरण बने। व्यापारियों को लाभ रहता है।
 
इस प्रकार देखा जाए तो यह वर्ष मिला-जुला ही कहा जा सकता है। कहीं अच्छा तो कहीं कमी नजर आए।

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