गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए दोनों चरणों के नामांकन भरने की अवधि समाप्त होने के साथ ही पूर्व आईपीएस अधिकारियों के सपने भी धूल में मिल गए हैं। ये अधिकारी हैं- डीजी वंजारा, एनके अमीन और तरुण बारोट।
ध्यान देने वाली बात यह है कि तीनों ही अधिकारी सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर मामले में सुर्खियों में आए थे। डीजी वंजारा तो पिछले साल ही जमानत पर छूटे थे और जेल से बाहर आते ही उन्होंने एलान कर दिया था कि वे राजनीति के मैदान में उतरेंगे।
रिहाई के समय वंजारा ने कई रैलियां भी की थीं। तब उन्होंने कहा था कि अब उनकी दूसरी पारी शुरू होगी। पहली पारी में वे और उनके साथी पुलिस अधिकारी बहुत फील्डिंग कर चुके हैं, अब वे बैटिंग करेंगे। उनके बाकी दो साथियों अमीन और बारोट की मंशा भी चुनाव लड़ने की ही थी।
भाजपा से करीबी के चलते ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि तीनों ही अधिकारियों की इच्छा पूरी हो सकती है, लेकिन पार्टी ने किसी को भी टिकट नहीं दिया। हालांकि वंजारा ने बाद में यह कहकर खुद को जरूर सांत्वना दी कि मैं एनजीओ के लिए काम करता रहूंगा और लोगों से जुड़ा रहूंगा। वंजारा ने तो अपने लिए काम ढूंढ लिया है, मगर अमीन और बारोट का क्या होगा, यह सवाल जरूर गुजरात के लोग पूछ रहे हैं।