गुजरात में भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में तो आ गई है, लेकिन पिछली बार की तुलना में भगवा पार्टी को नुकसान हुआ है। इस चुनाव में सबसे बड़ी बात यह रही है कि ब्रांड मोदी के कारण ही भाजपा राज्य में सत्ता बचाने में सफल हुई है। हालांकि 150 सीटों का लक्ष्य रखने वाली भाजपा को तगड़ा झटका इसलिए भी है क्योंकि पार्टी को पिछली बार जितनी सीटें भी नहीं मिल पाई हैं। आखिर वे कौनसे बड़े कारण रहे जिनसे भाजपा अपनी सत्ता में बचा पाई...
1. ब्रांड मोदी : एक बार फिर नरेन्द्र मोदी ने साबित कर दिया कि मोदी यानी भाजपा या फिर भाजपा यानी मोदी। जिस तरह से मोदी ने राज्य में धुआंधार प्रचार किया और गुजराती लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ा, वह भाजपा के पक्ष में रहा। मोदी ने तो चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान को भी मुद्दा बना लिया। इतना ही नहीं उन्होंने तो यहां तक कहा कि कांग्रेस के लोग 'गुजरात के बेटे' पर सवाल उठा रहे हैं।
2. मणिशंकर अय्यर : कांग्रेस ने भाजपा के पाटीदार वोटों में भले ही सेंध लगा ली हो, लेकिन मणिशंकर अय्यर का मोदी को नीच कहना कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया। आंकड़ों पर भी नजर डालें तो पहले चरण में कांग्रेस को फायदा मिला, लेकिन जैसे ही मोदी के लिए नीच शब्द का प्रयोग किया गया, दूसरे दौर में पलड़ा भाजपा का भारी हो गई। दूसरे दौर में तो कई सीटें ऐसी भी रहीं जो भाजपा ने कांग्रेस से छीन लीं।
3. अमित शाह की रणनीति : इसमें कोई संदेह नहीं इस चुनाव में मोदी की साख के साथ ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की प्रतिष्ठा भी दांव पर थी। शाह ने चुनाव जीतने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी नीतियों का प्रयोग किया। इतना ही 70 से ज्यादा सीटों पर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवारों का उतारा ताकि कांग्रेस के वोट काटे जा सकें। सत्ता विरोधी लहर के बावजूद गुजरात में भाजपा सरकार बनी, इससे यही साबित होता है कि शाह की रणनीति कारगर रही।
4. कार्यकर्ताओं की फौज : खुद को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा के पास कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। इसका फायदा भी गुजरात में भाजपा को मिला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने भी घर-घर जाकर भाजपा के पक्ष में प्रचार किया, जिसका काफी फायदा मिला।
5. आखिरी दौर में तूफानी प्रचार : यूं तो भाजपा और नरेन्द्र मोदी ने पूरे चुनाव में तूफानी प्रचार किया, लेकिन दूसरे दौर के चुनाव में मोदी लगभग पूरे समय गुजरात में डटे रहे। पूरे चुनाव में मोदी 40 के लगभग सभाएं कीं। मोदी इसलिए भी इस चुनाव में आखिरी तक डटे रहे क्योंकि पार्टी की प्रतिष्ठा के साथ ही गुजरात मॉडल भी दांव पर था। इसी मॉडल को सामने रखकर ही मोदी ने दिल्ली की गद्दी हासिल की थी। यदि यह मॉडल फेल हो जाता तो पूरे देश में ही गलत संदेश जाता। ...और 2018 में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं।