अहमदाबाद। पाटीदार समुदाय की राजनीति कर रहे पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को गुजरात के पाटीदारों ने ही बड़ा झटका दे दिया है। हालांकि इस खबर के बाद भाजपा खेमे में राहत महसूस की जा रही है।
एक जानकारी के मुताबिक पाटीदार समाज की 10 बड़ी धार्मिक संस्थाओं के नेता मंगलवार को एक बार फिर एक मंच पर एकत्रित हुए। उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र को धोखा बताया है। इन धार्मिक संगठनों का मानना है कि जो बात संभव ही नहीं है, उसे वादे के दौर पर क्यों पेश किया जा रहा है।
विश्व उमिया संस्थान के संयोजक आरपी पटेल ने कहा कि हार्दिक द्वारा कांग्रेस की ओर से दिए गए मसौदे पर कानूनी राय ली गई है। इस संबंध में कानूनविद हरीश साल्वे ने साफ कर दिया कि संवैधानिक तौर पर यह आरक्षण मुमकिन ही नहीं है। ऐसे में हार्दिक कांग्रेस का राजनीतिक हथियार ही बन रहा है।
पटेल ने कहा कि समाज का युवा वर्ग भी हार्दिक की बातों में आकर भटक गया है और हार्दिक का आंदोलन सामाजिक न होकर अब पूरी तरह निजी बन गया है।
पाटीदार संस्थाओं का मानना है कि समाज की कुछ समय के लिए भाजपा से नाराजगी जरूर थी, लेकिन अब सब ठीक है। अब समाज का एक बड़ा वर्ग भाजपा के साथ खड़ा दिख रहा है। साथ ही जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं स्थितियां भी बदल रही हैं।
गौरतलब है कि पाटीदारों में दो प्रमुख समुदाय लेउवा और कड़वा पाटीदार हैं। ऐसा माना जाता है कि कड़वा और लेउवा आपस में वैवाहिक संबंध नहीं रखते। इन सब बातों के अलावा हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहे केशुभाई पटेल भी पाटीदार समुदाय से आते थे। उन्होंने भी भाजपा के खिलाफ बगावत की थी, लेकिन उन्हें विधानसभा चुनाव में नाममात्र की सीटें मिली थीं।