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गुजरात चुनाव : क्या राहुल को मिलेगा भगवान का आशीर्वाद...

हमें फॉलो करें गुजरात चुनाव : क्या राहुल को मिलेगा भगवान का आशीर्वाद...
, मंगलवार, 28 नवंबर 2017 (14:57 IST)
'धर्मो रक्षति रक्षित:' अर्थात यदि आप धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी अब इस बात को भलीभांति समझ गए हैं। इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में वोटों के लिए राहुल ने द्वारकाधीश मंदिर से लेकर अंबाजी, अक्षरधाम तक न जाने कितने मंदिरों में हाजिरी लगा दी। वे तो यह भी कहना नहीं भूले कि मैं शिवभक्त हूं। हालांकि राहुल गांधी को तो यह भी याद होगा कि रामसेतु विवाद के दौरान कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार दिया। अब कांग्रेस उपाध्यक्ष यह तो नहीं कह सकते कि बीती ताहि बिसार दे...  अरे भई! ये जनता है, सब जानती है।
 
हार्दिक तो अपना है : गुजराती की ही एक कहावत है आपणुं ते हा हा, बीजाणुं ते ही ही। कहें तो अपना वाह वाह, दूसरे का छी छी। पाटीदार आंदोलन से उपजे नेता हार्दिक पटेल के बारे में भी कांग्रेस का यही खयाल है। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के मंत्री की सीडी बाजार में आई थी तो कांग्रेस ने गरियाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यूं कहें कि पानी पी पीकर भाजपा को कोसा था। इसी बीच, हार्दिक की भी कथित सेक्स सीडी सामने आ गई। फिर क्या था कांग्रेस ने उसके समर्थन में मोर्चा खोल दिया। इतना ही नहीं, गुजरात कांग्रेस के बड़े नेता शक्तिसिंह गोहिल ने तो यहां तक कह दिया कि हार्दिक में तो सरदार वल्लभ भाई पटेल का डीएनए है। हिन्दी में भी इसके लिए कहा गया है- अपना पूत पराया टटींगर। 
 
कल तक आंख का तारा, अब किरकिरी : 'दाग अच्छे हैं' राजनीति में तो यह जुमला बिलकुल फिट बैठता है। हमारे बिहारी बाबू और कांग्रेस नेता शकील अहमद ने पिछले दिनों एक फोटो ट्‍वीट किया था। इस पर लिखा था कि भाजपा वॉशिंग पावडर, दाग धोए चुटकियों में। इस पर घोटालों में उलझे नारायण राणे, सुखराम, मुकुल रॉय और येदियुरप्पा के फोटो भी लगाए गए थे। इनमें नारायण राणे और सुखराम कांग्रेस में रहकर भाजपा की गोद में बैठ गए हैं।
 
यही नेता जो कभी कांग्रेस की आंखों का तारा थे, अब आंख की किरकिरी बन गए हैं। भाजपा ने भी तो इन्हें कभी जमकर कोसा था, अब गोद में बैठाकर पुचकार रही है। अब शकील बाबू की बात से तो यही लगता है कि बछिया रही तs सुहागन रही, बिका गेल तs बछिया अभागन भई। अर्थात  जब राणे और सुखराम कांग्रेस में थे तो साफ-सुथरे थे और भाजपा में आए तो काजल की कोठरी।
 
सास और बहू ने बढ़ाई भाजपा की मुसीबत : कहावत तो ये भी आपने सुनी ही होगी कि आप हारे बहू को मारे। पंचमहाल जिले की कालोल सीट पर कुछ ऐसा ही नजारा है। यहां एक सास ने अपनी ही बहू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सांसद प्रभातसिंह चौहान अपनी पत्नी या बेटे के लिए टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने कालोल से बहू सुमन को उम्मीदवार बना दिया। सास रंगेश्वरी का तो रंग ही उड़ गया। उन्होंने अपने पति को ही चुनौती दे डाली कि इलाके में प्रचार करके दिखाओ, दिन में तारे दिखा दूंगी।
 
35 साल की रंगेश्वरी का तो कहना है कि 60 साल की सुमन को तो कालोल सीट का इतिहास और भूगोल ही पता नहीं है, ऐसे में चुनाव क्या खाक जीतेंगी। अब कालोल में रंगेश्वरी का रंग जमेगा या फिर जीत का सुमन खिलेगा, इसके लिए तो हमें इंतजार करना ही होगा। वैसे खिसियानी बिल्ली वाली बात तो हम सब जानते ही हैं। 
 
हार्दिक का हाथ कांग्रेस के साथ : अपना हाथ जगन्नाथ की तर्ज पर हार्दिक पटेल ने अब सार्वजनिक रूप से बोल ही दिया है कि अपना हाथ, कांग्रेस के साथ। हार्दिक का दावा है कि कांग्रेस ने उनकी शर्तों को मान लिया है। अब हार्दिक को भले ही कांग्रेस का फॉर्मूला पसंद  आ गया हो पर कांग्रेस जिस तरह से सर्वे कराने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ा है, उसने पाटीदारों के मन में  सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले ही पाटीदार दो हिस्सों में तो बंट ही चुके हैं। कहीं हार्दिक ही संदेह के घेरे में न आ जाएं। चुनाव के बाद हार्दिक के लिए कहीं ऐसा न हो कि माया मिली न राम या फिर घर के रहे न घाट के....
 

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