-वेबदुनिया डेस्क
नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी पिछले दिनों गांधीनगर के प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर गए थे। वहां उन्होंने वहां मुख्य स्वामी से मुलाकात करने के साथ ही लोगों को गुजराती में भी संबोधित किया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके विरोधियों ने मोर्चा संभाल लिया।
उल्लेखनीय है कि 1992 में निर्मित इस भव्य मंदिर के रजत जयंती समारोह में गत दो नवंबर को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिरकत की थी। विरोधियों का कहना है कि वोटों के लिए मोदी स्वामीनारायण मंदिर तो चले गए, लेकिन अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में हुई 24 बच्चों की मौत के बाद उनके परिजनों से मिलने के लिए प्रधानमंत्री के पास समय नहीं था।
एक व्यक्ति ने फेसबुक पर प्रतिक्रिया भी जाहिर की कि मोदी बड़े प्रधान (प्रधानमंत्री) हैं। उन्हें सत्ता का गुमान है और वे लोगों के साथ वोट जितना ही संबंध रखते हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि अक्षरधाम जाने के बाद मोदी ने कहा था कि जब स्वामीजी ने हाथ पकड़ लिया तो फिर चिंता किस बात की है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पाटीदार समाज के लोग बड़ी संख्या में इसके अनुयायी हैं और हार्दिक पटेल के आंदोलन के बाद पाटीदार समाज भाजपा से थोड़ा नाराज दिखाई दे रहा है। ऐसे में मोदी की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।