Guru Purnima 2022: 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। इस बार गुरु पूर्णिमा पर ग्रहों के 4 बहुत ही शुभ राजयोग बन रहे हैं। कैसे करें व्रत और गुरु पूजन, पढ़ें आसान विधि।
कैसे रखें व्रत :
1. प्रात:काल जल्दी उठकर नदी में स्नान करने के बाद गुरु की पूजा करें और फिर व्रत का संकल्प लें।
2. व्रत रखकर पूरे दिन श्री विष्णु का ध्यान करते हैं।
3. इस दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन न करें।
4. मांस, मटन, मच्छी और मदिरा से दूर रहें।
5. स्त्री समागन या प्रसंग से दूर रहें।
6. क्रोध, ईर्ष्या, किसी का अपमान करना आदि विकारों से दूर रहें।
7. यात्रा न करें।
8. किसी भी प्रकार का मंगलिक कार्य न करें।
9. यदि व्रत रख रहे हैं तो वार्तालाप और बहस से दूर रहें।
10. यदि व्रत रख रहे हैं तो तमान तरह की सुख सुविधा का त्याग कर दें।
11. दूसरे दिन अन्नदान करें या किसी को भोजन कराकर उसे दक्षिणा दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें :
1. इस दिन श्रीकृष्ण और वेदव्यासजी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। उनकी पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
2. इस दिन पिता, दादा और गुरु का आदर कर उनके पैर छुएं और उन्हें कुछ उपहार दें।
3. गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल में जल चढ़ाएं और वहां पर घी का एक दीपक प्रज्वलित करके विष्णुजी का ध्यान करें।
4. इस दिन केसर का तिलक लगाएं, मंदिर जाएं और पीली वस्तुओं का दान दें।
5. इस दिन घर में चंदन की खुशबू फैलाएं, कर्पूर जलाएं और धूप-दीप दें। पीली वस्तुओं का सेवन करें।
6. तिजोरी या ईशान कोण में हल्दी की गांठ को किसी सफेद कपड़े में बांधकर रखें।
7. इस दिन गीता का पाठ करें।
8. इस दिन सत्यनारायण भगवान का कथा पूजन करते हैं।
9. इस दिन गुरु ही नहीं माता, पिता, बड़े भाई, बड़ी बहन, चाचा आदि का भी सम्मान करते हैं।
10. इस दिन गुरु से मंत्र प्राप्त भी करते हैं।
11. पितरों के तर्पण का कार्य भी किया जा सकता है।
12. कोई विद्या या सिद्धि सीखने का कार्य भी प्रारंभ किया जा सकता है।
1. इस दिन शिवजी, दत्तात्रेय और वेद व्यासजी की पूजा की जाती है। तीनों की पूजा कर सकते हैं।
2. इसके लिए पहले सफेद कपड़े पर चावल की ढेरी लगाकर उस पर जल से भरा कलश रखें।
3. कलश के भीतर आम के पत्ते और उपर नारियल को रखें।
4. अब उत्तर या ईशान दिशा में शिवजी का चित्र स्थापित करें।
5. शिवजी को गुरु मानकर निम्न मंत्र पढ़कर श्रीगुरुदेव का आवाहन करें-
- 'ॐ वेदादि गुरुदेवाय विद्महे, परम गुरुवे धीमहि, तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।।'
हे गुरुदेव! मैं आपका आह्वान करता हूं।
6. अब शिवजी, दत्तात्रेय और वेदव्याजी की पंचोपचार या षोडोपचार पूजन करें। यानी की पांच प्रकार की सामग्री- गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य को अर्पित करें। यदि षोडोपचार करना चाहते हैं तो 16 प्रकार की सामग्री अर्पित करें।
7. नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती करें। तथा 'ॐ गुं गुरुभ्यो नम: मंत्र' की 11, 21, 51 या 108 माला करें।
8. आरती आदि के पश्चात गुरु या ब्रह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा या उपहार दें।
9. इस दिन कई लोग किसी को गुरु बनाते हैं या अपने गुरु का पूजन करते हैं।