23 जुलाई को व्रत की पूर्णिमा प्रारंभ होगी और 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा रहेगी। पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा होती है अर्थात महाभारत के लेखक वेद व्यासजी की पूजा। इसी दिन से आषाढ़ माह समाप्त हो जाएगा। भगवान वेद व्यास एक अलौकिक शक्तिसंपन्न महापुरुष थे। आओ जानते हैं वेद व्यासजी के बारे में 10 रोचक बातें।
1. ऋषि पराशर और निषाद कन्या सत्यवती के पुत्र महर्षि वेद व्यास जन्म लेते ही युवा हो गए और तपस्या करने द्वैपायन द्वीप चले गए। आषाड़ी पूर्णिमा को ही उनका जन्म हुआ था।
2. तप से वे काले हो गए इसलिए उन्हें कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि उनका जन्म यमुना नदी के बीच एक द्वीप पर हुआ था और वे सांवले थे इसलिए उनका नाम कृष्ण द्वैपायन रखा गया।
3. वेद व्यास एक उपाधी होती है। वे इस कल्प के 28वें वेद व्यासजी थे।
4. श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के जिन 24 अवतारों का वर्णन है, उनमें महर्षि वेद व्यास का भी नाम है।
5. धर्मग्रंथों में जो अष्ट चिरंजीवी (8 अमर लोग) बताए गए हैं, महर्षि वेद व्यास भी उन्हीं में से एक हैं इसलिए इन्हें आज भी जीवित माना जाता है।
6. सत्यवती के कहने पर वेद व्यासजी ने विचित्रवीर्य की पत्नी अम्बालिका और अम्बिका को अपनी शक्ति से धृतराष्ट्र और पांडु नामक पुत्र दिए और एक दासी से विदुर का जन्म हुआ।
7. उपरोक्त इन्हीं 3 पुत्रों में से एक धृतराष्ट्र के यहां जब कोई पुत्र नहीं हुआ तो वेद व्यास की कृपा से ही 99 पुत्र और 1 पुत्री का जन्म हुआ।
8. महाभारत के अंत में जब अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र छोड़ देता है तो उसके ब्रह्मास्त्र को वापस लेने के लिए वेद व्यास अनुरोध करते हैं। लेकिन अश्वत्थामा वापस लेने की विद्या नहीं जानता था तो उसने उस अस्त्र को अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में उतार दिया था। इस घोर पाप के चलते श्रीकृष्ण उसे 3,000 वर्ष तक कोढ़ी के रूप में भटकने का शाप दे देते हैं जिस शाप का वेद व्यास भी अनुमोदन करते हैं।
9. महर्षि वेद व्यास ने ही महाभारत का युद्ध देखने के लिए संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की थी जिससे संजय ने धृतराष्ट्र को पूरे युद्ध का वर्णन महल में ही सुनाया था।
10. विश्व में सर्पप्रथज्ञ पृथ्वी का पहला भौगोलिक मानचित्र महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास द्वारा ही बनाया गया था।
11. कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास की पत्नी का नाम आरुणी था जिनके महान बालयोगी पुत्र शुकदेव थे।
12. वेद व्यास के 4 महान शिष्य थे जिनको उन्होंने 4 वेद पढ़ाए- मुनि पैल को ॠग्वेद, वैशंपायन को यजुर्वेद, जैमिनी को सामवेद तथा सुमंतु को अथर्ववेद पढ़ाया।
13. एक बार वेद व्यास वन में धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने गए, तब वहां युधिष्ठिर भी उपस्थित थे। धृतराष्ट्र ने व्यासजी से अपने मरे हुए कुटुम्बियों और स्वजनों को देखने की इच्छा प्रकट की। तब महर्षि व्यास सभी को लेकर गंगा तट पर पहुंचे। वहां व्यासजी ने दिवंगत योद्धाओं को पुकारा। कुछ देर बार ही जल में से देखते-ही-देखते भीष्म और द्रोण के साथ दोनों पक्षों के योद्धा निकल आए। वे सभी लोग रात्रि में अपने पूर्व संबंधियों से मिले और सूर्योदय से पूर्व पुन: गंगा में प्रवेश करके अपने दिव्य लोकों को चले गए।
14. महर्षि वेद व्यास ने जब कलयुग का बढ़ता प्रभाव देखा तो उन्होंने ही पांडवों को स्वर्ग की यात्रा करने की सलाह दी थी।
15. महर्षि वेद व्याजी के कथनानुसार ही भगवान गणेशजी ने महाभारत लिखी थी।