भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक नगर है हरिद्वार। यह नगर गंगा के दोनों तट पर बसा हुआ है। आओ जानते हैं कि किन कारणों से हरिद्वार को एक पवित्र नगर माना जाता है।
1. हरिद्वार को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम 'माया' या 'मायापुरी' है, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी।
2. यह नगर भारतवर्ष के सात पवित्र नगरों अर्थात सप्तपुरियों में से एक है। विश्व के प्राचीन नगरों में इसका नाम भी लिया जाता है।
3. हरिद्वार में ही गंगा के तट पर समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत की बूंदे गिरी थी। इसीलिए इसे कुंभ नगरी भी कहा जाता है।
4. हरिद्वार ही वह स्थान है जहां पर गंगा पहाड़ों से उतर कर समतल मैदानों में अपनी यात्रा शुरू करती है। महाभारत में हरिद्वार को 'गंगाद्वार' कहा गया है, क्योंकि यहां पहाड़ियों से निकल कर भागीरथी गंगा पहली बार मैदानी क्षेत्र में आती हैं।
5. यह कई ऋषि और मुनियों की तपोभूमि है। कपिल मुनि ने भी यहां तपस्या की थी। इसलिए इस स्थान को कपिलास्थान भी कहा जाता है। यहां सप्त सागर नामक एक स्थान हैं जहां पर गंगा नदी सात धाराओं में बहती है। इसी के पास सप्तऋषि आश्रम है।
6. हरिद्वार में हर की पौड़ी पर ही भगवान विष्ण के पद चिन्ह हैं। हरिद्वार को 3 देवताओं ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया है ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
7. यहीं पर शक्ति त्रिकोण भी है अर्थात यहां पर तीन प्रमुख देवियां एक साथ विराजमान है। मनसादेवी, चंडीदेवी और मायादेवी (शक्तिपीठ)। यहां माता सती का हृदय और नाभि गिरे थे। हरिद्वार में ही कनखल में वह स्थान है जहां माता सती ने आत्मदाह कर लिया था। यहां आज भी सती कुंड स्थित है।
8. यह स्थान राजा दक्ष के राज्यांतर्गत आता था। किवदंतियों के अनुसार यहीं पर राजा दक्ष ने वह यज्ञ किया था जिसमें कूदकर माता सती ने आत्मदाह कर लिया था। इससे शिव के अनुयायी वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
9. हरिद्वार एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर सभी देव पधारे हैं। यहां श्रीराम ने भी गंगा घाट पर अपने पिता दशरथजी का तर्पण किया था।
10. गंगा के उत्तरी भाग में बसे हुए 'बदरीनारायण' तथा 'केदारनाथ' नामक भगवान विष्णु और शिव के पवित्र तीर्थों के लिए इसी स्थान से आगे मार्ग जाता है। इसीलिए इसे 'हरिद्वार' तथा 'हरद्वार' दोनों ही नामों से पुकारा जाता है। वास्तव में इसका नाम 'गेटवे ऑफ़ द गॉड्स' है। जहां से पवित्र चार धाम की यात्रा प्रारंभ होती है।