त्वचा की सफाई का काम स्नान ही करता है। योग और आयुर्वेद में स्नान के प्रकार और फायदे बताए गए हैं। बहुद देर तक और अच्छे से स्नान करने से जहां थकान और तनाव घटता है वहीं यह मन को प्रसंन्न कर स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायी सिद्ध होता है। योगा स्नान कई तरीके से किया जाना है- सनबाथ, स्टीमबाथ, पंचकर्म और मिट्टी, उबटन, जल और धौती आदि से आंतरिक और बाहरी स्नान। परंतु हम यहां योग के स्नान की बात नहीं बल्कि धार्मिक स्नान के प्रकार जागेंगे।
धर्मशास्त्रों में मुख्यत: 4 प्रकार के स्नान बताएं गए हैं-
1. मुनि स्नान : यह स्नान ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात 4 से 5 बजे के बीच किया जाता है।
2. देव स्नान : इस समय देवता लोग स्नान करते हैं इसका समय प्रात:काल 5 से 6 के बीच होता है।
3. मानव स्नान : यह स्नान प्रात:काल 6 बजे से 8 बजे के बीच होता है।
4. राक्षसी स्नान : यह स्नान प्रात: 8 बजे के बाद किया जाता है।
मुनि स्नान सर्वोत्तम, देव स्नान उत्तम, मानव स्नान समान्य और राक्षसी स्नान निषेध माना गया है।
यदि आप हरिद्वार कुंभ में स्नान कर रहे हैं तो आपको जानना चाहिए कि आप कौनसा स्नान कर रहे हैं। कहते हैं कि मुनि स्नान से सुख, शांति, समृद्धि, विद्या, बल, आरोग्य आदि प्रदान होता है। देव स्नान से यश, कीर्ति, धन-वैभव, सुख-शान्ति और संतोष प्रदान होता है। मानव स्नान से सांसारिक कार्यो में सफलता मिलती है और परिवार में मंगल बना रहता है, जबकि राक्षसी स्नान से दरिद्रता, कलह, संकट, रोग और मानसिक अशांति प्राप्त होती है।