हरिद्वार। विश्वविख्यात तीर्थ एवं कुंभनगरी को देवभूमि उत्तराखंड का प्रवेश द्वार व श्रीहरि का द्वार कहा जाता है। यहां कल-कल बहती मां गंगा और मंदिर, आश्रम व मठ की बड़ी महिमा है। प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में तीर्थ श्रद्धालु आकर गंगा में डुबकी लगाकर व मंदिरों के दर्शन कर खुद को पुण्य का भागी मानते हैं। इसी आस्था के चलते धर्मपरायण जनता ने अनेक मंदिर, आश्रम, धर्मशालाओं आदि का निर्माण आम जनता के हित में कराया था। लेकिन इन पुण्यार्थ एवं धर्मार्थ उद्देश्यों की संपत्तियों का अस्तित्व खतरे में है।
हरिद्वार में हर की पौड़ी में धर्मार्थ प्रयोजन की संपत्तियों को चुन-चुनकर ठिकाने लगा रहे हैं। हालात इस कदर बदतर होते जा रहे हैं कि हरिद्वार की हर की पौड़ी में मंदिर बेचने की बातें आजकल महाकुंभ से पूर्व सुर्खियों में हैं। स्वयं भगवान के घर यानी मंदिर भी नहीं छुट रहे। धर्म का मखौल बनाने वालों की निगाहों में पवित्र मंदिर भी हैं।
पिछले दिनों हर की पौड़ी के गंगा मंदिर, अष्टखंबा मंदिर व श्री काली मंदिर रजिस्ट्री कर बेचने की बात सामने आने से हरिद्वार में इसकी सर्वत्र चर्चा है। ये संपत्तियां रघुबंश पुरी कोरादेवी ट्रस्ट की बताई जा रही हैं। ट्रस्ट के सचिव विशाल शर्मा ने बताया कि स्व. महंत रघुबंश पुरी की पत्नी कोरादेवी ने अपने जीवनकाल रघुबंश पुरी कोरादेवी ट्रस्ट का विधिवत पंजीकरण सब रजिस्ट्रार कार्यालय में कराया था। लेकिन कुछ लोग फर्जी तरीके से ट्रस्ट की संपत्तियों को विक्रय कर रहे हैं।
इसके कथित मुख्य सूत्रधार मोहित पूरी पुत्र राम पुरी उर्फ प्रसन्न कुमार व राम पुरी की पत्नी पुष्पा पुरी हैं जिन्होंने खुद को कोरादेवी का वारिस बताते हुए मंदिर व ट्रस्ट की अन्य संपत्तियों को बाकायदा रजिस्ट्री कर बेच दिया। इनके विरुद्ध ट्रस्ट के सचिव ने नगर कोतवाली हरिद्वार में मुकदमा अपराध संख्या- 0120 धारा 420, 504, 506 पंजीकृत कराया है।