उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यहां पर पौराणिक काल के कई प्रसिद्ध और चमत्कारिक स्थान है। यहां पर माता के 3 चमत्कारिक स्थान है। पहला मायादेवी शक्तिपीठ, दूसरा चंडी देवी मंदिर और तीसरा मनसा देवी मंदिर। आओ जानते हैं मायादेवी शक्तिपीठ मंदिर के बारे में।
हरिद्वार शहर में शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध स्थान है। दूसरे पर दक्षेश्वर स्थान वाली पार्वती। कहते हैं कि यहीं पर सती योग अग्नि में भस्म हुई थीं और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसादेवी विराजमान हैं। यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता सती का मन गिरा था इसलिए यह स्थान मनसा नाम से प्रसिद्ध हुआ।
मायादेवी शक्तिपीठ :
1. हरिद्वार में भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक माया देवी का मंदिर है।
2. यहां माता सती का हृदय और नाभि गिरे थे। नाभि गिरने के कारण इसे ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है।
3. माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जिसका इतिहास 11 शताब्दी से उपलब्ध है।
4. मंदिर के बगल में 'आनंद भैरव का मंदिर' भी है।
5. इस मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही तंत्र साधना भी की जाती है।
6. मायादेवी शक्तिपीठ होने के कारण ही हरिद्वार का नाम मायापुरी भी है।
7. प्राचीनकाल से इस मंदिर में देवी की पिंडी विराजमान है। 18वीं शताब्दी में इस मंदिर में देवी की मूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठा की गई।
8. हरिद्वार की रक्षा के लिए एक शक्ति त्रिकोण है। इस त्रिकोण के दो बिंदु पर्वतों पर मां मनसा और मां चंडी देवी रक्षा कवच के रूप में विद्यमान है तो वहीं त्रिकोण का शिखर धरती की ओर है और उसी अधोमुख शिखर पर भगवती माया विराजमान हैं।
9. मां के इस दरबार में मां माया के अलावा मां काली और देवी कामाख्या के भी दर्शन भी किए जा सकते हैं।
10. माया देवी शक्तिपीठ हरिद्वार रेलवे स्टेशन से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आसानी से किसी भी साधन से पहुंचा जा सकता है।