चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। भारतीय जनता पार्टी 40 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है हालांकि बहुमत के जादुई आंकड़े से वह अब भी छह सीट दूर है। हालांकि 3 निर्दलीयों का समर्थन मिल गया है। भाजपा शुक्रवार को राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।
कांग्रेस 31 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी 10 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर है। इनेलो और गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी को एक-एक सीट मिली है। नई विधानसभा में सात निर्दलीय जीत कर आए है और राज्य में अगली सरकार गठित करने में उनकी अहम भूमिका होने की उम्मीद है।
यह 3 निर्दलीय भाजपा के साथ : त्रिशंकु विधानसभा के चलते राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई है। खबरों के मुताबिक हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा और निर्दलीय चुने गए रणजीत सिंह को दिल्ली ले जाया गया है। तीसरे निर्दलीय विधायक सोमवीर सिंह ने कहा कि वह भाजपा का समर्थन करेंगे।
10 में से 8 मंत्री हारे, 21 विधायक भी चित : लोकसभा में राज्य की दस सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा के लिए नतीजे निराश करने वाले रहे। चुनाव में 75 सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई और राज्य सरकार के 10 मंत्रियों में से आठ को हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा का मत प्रतिशत भी कम : भाजपा ने जिन विधायकों को दोबारा टिकट दिया था उनमें से करीब आधे चुनाव हार गए। पिछली विधानसभा में विधायक रहे भाजपा के 21 प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में उतारे गए खिलाड़ियों में केवल हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह जीतने में कामयाब हुए जबकि योगेश्वर दत्त और बबीता फोगाट को हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा के मत प्रतिशत में लोकसभा चुनाव के मुकाबले भारी गिरावट आई है। लोकसभा में जहां कुल 58 प्रतिशत मिले थे जो इस चुनाव में गिरकर 36.5 प्रतिशत रह गया।
हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले पार्टी के मत प्रतिशत में तीन फीसदी का सुधार हुआ है जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए किया।
कांग्रेस को बड़ा फायदा : वहीं कांग्रेस ने भी 2014 के मुकाबले इस चुनाव में मिले मतों में आठ फीसदी का सुधार किया है। चुनाव से पहले नेतृत्व को लेकर अंदरुनी खींचतान का सामना कर रही कांग्रेस को अगर जजपा समर्थन देती है तो वह निर्दलीय विधायकों के सहारे सत्ता तक पहुंच सकती है। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला को हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली में कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने दावा किया कि हरियाणा का जनादेश भाजपा की नैतिक हार है।
आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी : नतीजों से साफ हो गया है कि अगली सरकार के लिए एक-एक विधायक अहम होगा। इसके मद्देनजर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रशासन ने आरोप लगाया वह भाजपा की ओर से निर्दलीय विधायकों पर दबाव बना रहा है और उन्हें स्वतंत्र रूप से आने जाने नहीं दे रहा है।