राज्य में कांग्रेस की इस हार के पीछे गद्दार कौन है यह तो एक बडा सवाल है, जिसका जवाब शायद टीवी पर होने वाली राजनीतिक बहसों में उलझ कर रह जाएगा। या शायद कांग्रेस की हार के लिए भविष्य में की जाने वाली समीक्षा में कुछ निकलकर आए।
दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे पार्टी की खेमाबंदी, गुटबाजी है, दूसरी तरफ भाजपा यहां जाट बनाम गैर जाट करने की अपनी रणनीति में सफल रही। फिलहाल राज्य में कांग्रेस की हार के पीछे यही वजह बताई जा रही है।
हालांकि हरियाणा से स्थानीय लोगों की जो समीक्षा सामने आ रही है, उनके एक वोटर ने वेबदुनिया को बताया कि हरियाणा का जाट अब समझदार हो गया है। कांग्रेस के जाट कार्ड के बाद भी मतदाता उसके बहकावे में नहीं आए।
जाट बनाम जाट में सफल हुई भाजपा : बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने उन्हें टिकट बंटवारे से लेकर हर चीज में आजादी दी थी। इस कारण राज्य में भाजपा चुनाव को जाट बनाम नॉन जाट करने में पूरी तरह सफल हो गई। लोकसभा चुनाव के दौरान जो गैर जाट वोटर्स पार्टी के साथ जुड़े थे, वे ऐन मौके पर भाजपा की तरफ झुक गए। गैर जाट वोटर्स में अपनी उचित भागीदारी भ्रम पैदा हो गया और वे कांग्रेस से दूर हो गए।
क्या कुमारी सैलजा ने डुबोई नैया : कहा जा रहा है कि कांग्रेस की नाव डूबोने में सबसे बड़ा हाथ कुमारी सैलजा का रहा, हालांकि इस दावे में उतनी सचाई नहीं है। अगर आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस की इस हार में विलेन कुमारी सैलजा नहीं बल्कि कोई और है। अब सवाल उठता है कि वो कोई और कौन है। यह तो आने वाले समय में पता चलेगा जब कांग्रेस अपनी हार की समीक्षा करेगी। नहीं तो ज्यादा से ज्यादा यह राजनीतिक बहसों में खोकर रह जाएगा।
कुमारी सैलजा का प्रभाव : दरअसल, हरियाणा के दो लोकसभा सीटों सिरसा और अंबाला को कुमारी सैलजा के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। कुमारी सैलजा दलित समुदाय से आती हैं और वह खुद सिरसा से सांसद हैं। अंबाला से कांग्रेस के वरुण मुलाना सांसद हैं। ये दोनों रिजर्व सीटें हैं। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में कुल 18 विधानसभा सीटें हैं। हालांकि जानकर हैरानी होगी कि बड़ी जीत हासिल करने की ओर बढ़ रही भाजपा का इन 18 सीटों पर प्रदर्शन बहुत बुरा है।
Edited by Navin Rangiyal