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जानिए पेट के अल्सर के बारे में, इसके 7 लक्षण और बचाव के 5 घरेलू उपाय

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पेट का अल्सर यानि पेट में होने वाले छाले या फिर ऐसे घाव जो फफोले बनने के बाद हुए हों। इस तरह की समस्या अक्सर खान-पान में गलत बदलाव के कारण पैदा होती है जो कभी-कभी घातक भी साबित हो सकती है। 
 
सामान्यत: अल्सर, शरीर के अंदर छोटी आंत के शुरुआती स्थान पर या म्यूकल झिल्ली पर होने वाले छाले या घाव होते हैं। इस तरह का अल्सर पेप्ट‍िक अल्सर या फिर गैस्ट्रिक अल्सर कहलाता है। इसका मुख्य कारण पेट में अम्ल का बढ़ना, धूम्रपान एवं नशीले पदार्थों का सेवन, अत्यधि‍क स्टीरॉयड्स का सेवन, अनुवांशिक कारण, अत्यधिक तनाव या खान-पान में गड़बड़ी का होना है। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक जीवाणु का संक्रमण भी पेट में अल्सर होने का एक प्रमुख कारण है।
 
अल्सर के लक्षण :
 
1 कई लोगों को बार-बार डकार आने की समस्या होती है। यह पेट के अल्सर का एक लक्षण भी हो सकता है, इसलिए जरा संभलकर!
 
2 पेट में किसी प्रकार के जख्म या दर्द का एहसास होना एवं आंतों में जलन की शिकायत होना।
 
3 पेट में सूजन, सीने में जलन एवं गैस की समस्या होना।
 
4 पेट के ऊपरी भाग में दर्द एवं जलन होना एवं गर्म पेय पीने के बाद असहजता का अनुभव होना।
 
5 मल में खून आना या मल का रंग गहरा होना।
 
6 खांसी होने पर खून आना या खून की उल्टी होना।
 
7 वजन का कम होना और भूख न लगना।
 
घरेलू उपाय :
 
1 गुड़हल के लाल फूलों को पीसकर, पानी के साथ इसका शर्बत बनाकर पिएं। पेट के अल्सर के लिए यह एक उत्तर दवा है।
 
2 गाय के दूध में हल्दी की कुछ मात्रा मिलाकर इसे रोजाना पीने से भी पेट के अल्सर में लाभ होता है।
 
3 बेल का जूस या बेलपत्र को पीसकर इसे पानी में घोलकर बनाए गए पेय का सेवन करने से भी पेट के अल्सर में लाभ होता है।
 
4 बादाम को रातभर पानी में भिगोकर सुबह इसे चबाते हुए खाएं जिससे इसका दूध पेट के छालों तक पहुंचे। आप चाहें तो बादाम को दूध में पीसकर इसका प्रयोग कर सकते हैं।
 
5 केले, नारियल, पत्तागोभी, गाजर, मेथीदाना और सहजन का किसी भी रूप में सेवन, अल्सर के रोगियों के लिए लाभकारी है।
 
सावधानी- अल्सर से बचने के लिए अत्यधिक तेल, मिर्च-मसाले या जंकफूड व कोल्ड्रिंक का सेवन न करें। तनाव लेने से बचें एवं पैदल चलना या व्यायाम करना शुरू करें।


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