आर्थराइटिस खास तौर से जोड़ों में होने वाली वह समस्या है, जो दर्द के लिए जिम्मेदार होती है। आयुर्वेद के अनुसार जोड़ों में दर्द इसलिए होता है, क्योंकि जोड़ों में टॉक्सिन यानी जहरीले पदार्थ जमा हो जाते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक ऑर्थराइटिस के उपचार में सबसे पहला कदम कोलन विषविहीन करना होता है, क्योंकि वहां सड़ रहे तत्व ही रक्त के जरिए जोड़ों तक पहुंचते हैं और समस्या पैदा करते हैं।
आर्थराइटिस के मरीजों को ये 8 बातें हमेशा ध्यान रखनी चाहिए -
1 वात ऑर्थराइटिस में अनियमित खाना, ठंडा खाना, ठंडे प्राकृतिक खाने जैसे व्हाइट राइस, दही, खीरा, मूली, आईस्क्रीम और शरबत से बचें।
2 इनकी जगह पकाए हुए ओट्स, होल व्हील पॉरिज और गर्म प्रवृत्ति वाले सूप मसाले खाएं।
3 जिन दालों को आसानी से हजम नहीं किया जा सकता जैसे राजमा और सफेद चना आदि इन्हें न खाएं।
4 पित्त ऑर्थराइटिस में सभी फरमेंटिड फूड, दही, शराब और वाइन, पुरानी चीज और एनिमल प्रोटीन से बचें।
5 खाने की मात्रा को कम कर दें और फ्राइड व रिफाइंड फूड से बिलकुल बचें।
6 इस रोग से पीड़ित लोगों को कोलन का शुद्धिकरण सबसे तेजी से फायदा पहुंचाता है।
7 कफ ऑर्थराइटिस मोटापे की वजह से होती है, क्योंकि इससे जोड़ों में तनाव आ जाता है।
8 इस रोग से पीड़ित लोगों को न सिर्फ वजन कम करना चाहिए बल्कि खाने की मात्रा भी कम कर देनी चाहिए और ज्यादा पौष्टिक खाना तो बिलकुल नहीं खाना चाहिए।
9 शल्लाकी, अदरक, हल्दी और अश्वगंधा भी ऑर्थराइटिस के दर्द को खासा कम कर देती हैं।