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ठंड में दांतों की समस्या से हैं परेशान, तो इन बातों का रखें ख्याल

हमें फॉलो करें ठंड में दांतों की समस्या से हैं परेशान, तो इन बातों का रखें ख्याल
दांतों में ठंडा-गरम लगना एक आम समस्या है, जो कई लोगों के साथ होती है। लेकिन ठंड के दिनों में यह समस्या बढ़ जाती है और कुल्ला करने और पानी लगने पर दांतों में दर्द होने लगता है। इसका संबंध दांतों की संवेदनशीलता से है। जब आपके दांत कमजोर होते हैं या उनमें कोई समस्या होती है, तब दांतों की पकड़ बनाए रखने वाली कोशिकाएं कमजोर होती हैं और इनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है। लेकिन ठंड के दिनों में विशेष तौर पर यह संवेदनशीलता बढ़ जाती है। आखिर क्यों और कैसे होती है यह समस्या...दांतों में ठंडा गरम लगने के और भी कारण हैं, जानिए... 
 
दांतों की संवेदशीलता बढ़ना और दर्द होना, दरअसल इनकी ऊपरी परत यानि सुरक्षा कवच के क्षतिग्रस्त होने का परिणाम है, जो दांतों के लिए किसी स्वेटर की तरह कार्य करती है। यह एनेमेल को खराब होने से बचाती है, जिसे दांत सुरक्षित रहते हैं। वहीं अम्लीय पदार्थों, सोडा और कोल्ड्र‍िंक के प्रयोग से एनेमेल क्षतिग्रस्त होती है और दांतों का यह सुरक्षा कवच भंग हो जाता है।
 
पाचन संबंधी समस्याएं और एसिडिटी भी दांतों में ठंडा गरम लगने का एक बड़ कारण है। दरअसल एसिडिटी होने पर पेट में मौजूद एसिड खट्टे पानी के रूप में मुंह में आता है और दांतों के बाहरी भाग में उपस्थित कैल्शियम की परत, एसिड के संपर्क में आने से गलने लगती है। इस स्थिति के बढ़ने पर दांतों का सुरक्षा कवच गलकर निकल जाता है और दांतों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है और दांतों में ठंडा गरम लगने की समस्या होती है।
 
दांतों की सुरक्षा परत को ऐमेल कहा जाता है और इसकी भीतरी परत को डेंटीन। इस भीतरी परत के गल जाने पर पल्प बनता है और भीतरी नर्व के पानी से संपर्क में आने पर दांतों में दर्द की समस्या होती है। 
 
सुरक्षा कवच में सेंध : 1 च्यूंगम चबाते रहने, पेंसिल चबाते रहने से जैसी आदतें एनेमेल को दांतों में ठंडा गरम लगना एक बहुत आम समस्या है। 
 
2 नींबू और संतरे के रस भी एनेमेल को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन उतना नहीं। सुपारी खाने की आदत से भी दांत घिस जाते हैं। बहुत लोग होते हैं जो दिन भर सुपारी चबाते रहते हैं। इससे एनेमेल घिस जाता है। बहुत पान खाने वाले जब पान खाना छोड़ देते हैं तो उनको दांतों में ठंडा लगने लगता है।
 
3 पान के साथ सुपारी चबाते रहने से उनका नर्व तो बाहर निकल आता है। लेकिन कत्थे की परत पानी से नर्व को बचाती रहती है। पान खाना छोड़ते ही पानी सीधे नर्व के संपर्क में आ जाता है। कुछ लोगों को नींद में दांत किटकिटाने की आदत होती है। इससे भी एनेमेल झड़ता है। 
 
4 अत्यधिक अम्लीय पदार्थों का सेवन, अत्यधिक गर्म या ठंडे पदार्थों का सेवन, चाय-कॉफी, सिगरेट, तंबाकू और अन्य मादक पदार्थों का सेवन दांतों की सुरक्षा परत को क्षतिग्रस्त करता है।
 
उपाय : विशेष टूथपेस्ट: संवेदनशील दांतों के लिए विशेष टूथपेस्ट उपलब्ध हैं। साधारण टूथपेस्ट के बजाय इनका उपयोग करें। व्हाइटनरयुक्त टूथपेस्ट का उपयोग नहीं करें, यह दांतों पर कठोरता से काम करते हैं। इनसे तकलीफ बढ़ जाती है।
 
ब्रश हो नरम : सॉफ्ट या एक्स्ट्रा सॉफ्ट ब्रश का ही उपयोग करें। कड़क ब्रिसल्स से दांत घिसने लगते हैं। दांत संवेदनशील होने पर अक्सर लोगों को ब्रश करते हुए दर्द उठता है। कड़क ब्रिसल्स प्राकृतिक रूप से होने वाली मरम्मत के काम में भी अवरोध पैदा करते हैं। दांतों पर हल्के से ऊपर-नीचे ब्रश करें। ब्रश करने का तरीका गलत होने पर भी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

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