डॉ ऋषिकेश पाई
	कंसल्टेंट गायनाकॉलॉजिस्ट और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट
 
									
								
			        							
								
																	पिछले 2 साल से पूरी दुनिया अभूतपूर्व महामारी और उसके कारण होने वाली जैविक समस्याओं से जूझ रही है। इसी बीच में दुर्भाग्य से पहले से मौजूद पुरानी स्थितियों से हमारा ध्यान भटक रहा है। ये बीमारियां स्वास्थ्य को प्रभावित या खराब करती हैं। ये हमें विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं।
 
									
										
								
																	इस तरह की विभिन्न बीमारियों की सूची में मधुमेह का स्थान सबसे ऊपर है। उच्च मधुमेह आबादी (लैंसेट) वाले दुनिया के 3 देशों में भी भारत का नाम शामिल है इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के अनुसार भारत में 20-70 वर्ष के आयु वर्ग में मधुमेह के अनुमानित मामले 2015 में लगभग 7 करोड़ थे और यह संख्या बहुत भयानक गति से बढ़ती जा रही है। इसका मतलब यह है कि मधुमेह प्रजनन आयु वर्ग में भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित कर रहा है।
 
									
											
									
			        							
								
																	इसमें सबसे बुरी बात यह है कि मधुमेह का पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए यदि आप प्रजनन आयु वर्ग में हैं या गर्भधारण करने की योजना बना रहे हैं तो आपको एक साधारण रक्त परीक्षण के साथ अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच करवाने की आवश्यकता है।
 
									
					
			        							
								
																	मधुमेह के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए
एक स्वस्थ शरीर शुगर, स्टार्च और अन्य भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिए इंसुलिन का उत्पादन करता है। हालांकि कभी-कभी अग्न्याशय (Pancreas) में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं हो पाता है जिसके कारण शरीर में शुगर बना रहता है जिससे हाई ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। अगर यह स्थिति लंबे समय तक रहीं तो हाई ब्लड शुगर मधुमेह का कारण बनता है जिसका इलाज न कराने पर जीवन में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी जान जोखिम में डालने वाले परिणाम भी हो सकते हैं।
 
									
					
			        							
								
																	मधुमेह के विभिन्न प्रकार हैं और वे किसी भी उम्र में हो सकते हैं इसलिए इन संबंधित लक्षणों पर नजर रखना बेहद जरूरी है-
 
									
					
			        							
								
																	प्रकार 1 मधुमेह में आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और अग्न्याशय (Pancreas) में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं ठीक से काम नहीं करती हैं। इस प्रकार का मधुमेह आमतौर पर छोटे बच्चों और किशोरों में पाया जाता है और उन्हें इंसुलिन की दैनिक खुराक की आवश्यकता होती है।
 
									
					
			        							
								
																	प्रकार 2 मधुमेह में आपका शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता है। यह ज्यादातर मध्यम वर्ग और वृद्ध आयु वर्ग के लोगों में देखा जाता है। गर्भकालीन मधुमेह गर्भवती महिलाओं में अधिकतर आम है, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद यह बीमारी दूर हो जाती है। हालांकि उसके बाद ऐसी महिलाओं को भविष्य में प्रकार 2 मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है।
 
									
					
			        							
								
																	इन सबको देखते हुए यह महत्वपूर्ण बात समझ लेना जरूरी है कि मधुमेह के ये 2 प्रकार प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और गर्भकालीन मधुमेह सीधे गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है। 
 
									
					
			        							
								
																	क्या यह चिंता का विषय है?
यदि आप बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे हैं और लंबे समय तक गर्भधारण करने की कोशिश करने के बाद भी आप असफल हो रहे हो तो आप एक साधारण रक्त परीक्षण के माध्यम से अपने रक्त शर्करा के स्तर को जानकर इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि मधुमेह पुरुष प्रजनन क्षमता के साथ-साथ महिला प्रजनन क्षमता में भी हस्तक्षेप कर सकता है जिससे बच्चे को जन्म देने की आपकी योजना विफल हो जाती है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	मधुमेह पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के साथ-साथ उनकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है। मधुमेह वाले लगभग 50% पुरुष इरेक्टाइल डिसफंक्शन से पीड़ित हैं। मधुमेह प्रतिगामी स्खलन का कारण भी बन सकता है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	मधुमेह टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को प्रभावित करता है और शुक्राणु की गुणवत्ता को कम करता है। यह विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि इसका मतलब है कि मधुमेह डीएनए का उच्च स्तर पर विखंडन करके शुक्राणु डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है जिससे खंडित डीएनए वाले शुक्राणु द्वारा निषेचित अंडे से स्वस्थ भ्रूण बनने की संभावना कम होती है, जो गर्भाशय की आरोपण क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और गर्भपात की घटनाओं को बढ़ाता है। यह आईवीएफ प्रक्रियाओं की सफलता दर को भी प्रभावित कर सकता है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	अधिकांश महिलाओं को अपने प्रजनन वर्षों के दौरान प्रकार 2 का मधुमेह या गर्भकालीन मधुमेह होता है इसलिए महिलाओं को चिंतित होने और अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। 1980 से 2014 के बीच (लैंसेट) भारत में महिलाओं में मधुमेह के प्रसार में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रकार 1 के मधुमेह वाली महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म चक्र बहुत आम है जबकि प्रकार 2 के मधुमेह से पीड़ित महिलाओं को अक्सर पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) और मोटापे जैसी समस्याएं होती हैं। अनियंत्रित मधुमेह महिलाओं को ओवुलेशन समस्याओं और गर्भाशय ग्रीवा-योनि संक्रमण के खतरे में डालता है। मधुमेह गर्भवती माताओं को गर्भपात और मृत जन्म के जोखिम के साथ-साथ जन्म दोष वाले नवजात शिशुओं जैसी जटिलताएं भी हो सकती हैं।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	मधुमेह और गर्भावस्था
मधुमेह एक क्रॉनिक स्थिति है, मगर इसके बावजूद यह कुछ सरल चरणों के साथ प्रबंधित किया जा सकता है। मधुमेह के प्रबंधन की सबसे बड़ी कुंजी स्वस्थ आहार का पालन करना और नियमित व्यायाम करना है। अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें और मौखिक दवाओं जैसे मेटफोर्मिन या इंजेक्शन या पंप के माध्यम से इंसुलिन के उपयोग के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	यदि आपको प्रकार 1 या 2 जैसे मधुमेह का निदान किया गया है और आप बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे हैं तो यह सुनिश्चित करने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं कि आप गर्भधारण करने में सक्षम हैं या नहीं? मधुमेह के साथ एक स्वस्थ गर्भावस्था निश्चित रूप से संभव है, लेकिन इसके लिए आपको अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	अपने डॉक्टर से इस संबंधित मशविरा ले, जो आपको इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट या गर्भधारण पूर्व देखभाल टीम से सलाह दे सकते हैं। आमतौर पर देखा जाए तो साधारण मधुमेह का सरल तरीके से इलाज करके प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। यदि नहीं, तो आप इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईवीएफ+ आईसीएसआई) के साथ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसे विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	ग्लूकोज के स्तर पर नियंत्रण रखने और उन्हें सामान्य श्रेणी में लाने से न केवल गर्भावस्था की संभावना बढ़ेगी बल्कि गर्भपात, जन्म दोष और मृत जन्म के जोखिम को कम करने में भी सहायता प्राप्त होगी। गर्भावस्था के दौरान शरीर ग्लूकोज की मात्रा में परिवर्तन कर सकता है। इसके कारण मधुमेह उपचार में भी उसी प्रकार बदलाव लाना बेहद जरूरी हो जाता है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	इसलिए अपने रक्त शर्करा के स्तर पर कड़ी नजर रखना बहुत महत्वपूर्ण है। अंतिम लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। स्वस्थ आहार और वजन नियंत्रण, नियमित व्यायाम, तम्बाकू से दूर रहने के साथ-साथ तनाव मुक्त जीवनशैली जैसे चरण हैं, जो न केवल गर्भधारण की तैयारी के दौरान, बल्कि गर्भावस्था से लेकर बच्चा होने के बाद भी आपको अच्छा संस्करण करेंगे।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	निरोगी स्वास्थ्य एक उपहार जैसा है, जो आपकी और आपके बच्चे की पूरी जिंदगी भर साथ निभाएगा।