कोरोनावायरस को लेकर लोगों के मन में दहशत का माहौल बना हुआ है। ऐसे में व्यक्ति मानसिक समस्याओं का शिकार भी हो रहे हैं। हमने बात की डॉ. आलोक वर्मा से और जाना कोविड-19 और अन्य बीमारियों के बारे में विस्तार से। आइए जानते हैं।
पिछले 6 माह से संपूर्ण विश्व कोरोना कहर से जूझ रहा है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इससे संबंधित बीमारी और निदान के बारे में मार्गदर्शन कर रहे हैं।
जहां कोरोना या कोविड-19 हमारे देश में चुनौती बना हुआ है, वहीं मौसम के बदलाव से होने वाली बीमारियां भी अपना असर दिखाएंगी। ऐसे कठिन समय में प्रत्येक नागरिक को जागरूक होकर संयम से यह समझना होगा कि उसे जो लक्षण हैं, वे किस बीमारी के हैं?
हमारे देश में मानसून के साथ कुछ बीमारियां भी प्रत्येक वर्ष आ जाती हैं, जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, फ़्लू और सर्दी-जुकाम व एलर्जी इत्यादि। ऐसे समय में सर्दी-जुकाम, फ़्लू या कोविड-19 में से एक सामान्य मरीज़ को क्या हुआ है, यह पता करना थोड़ा कठिन ज़रूर है, लेकिन घबराए बिना थोड़ी समझदारी से काम लेने की आवश्यकता है।
सामान्यत: हर साल मौसम के बदलाव मात्र से कुछ लोगों को एलर्जी या सर्दी-ज़ुकाम हो जाता है, जो कभी-कभी बढ़ने पर अस्थमा का रूप भी ले लेता है। वहीं फ़्लू या इनफ़्लुएंज़ा भी एक तरह के वायरस से फ़ैलने वाली बीमारी है, जो इस मौसम में एक-दूसरे से फ़ैलती है। यहां संयम से रहकर यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि किसको कौन से लक्षण हैं?
तालिका में बताए लक्षणों के आधार पर हम यह निर्णय ले सकते हैं और आवश्यकता अनुसार शासन द्वारा नियुक्त फ़्लू क्लिनिक में जांच और उपचार करा सकते हैं।
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covid-19 |
फ्लू |
सर्दी जुकाम |
incubation period |
2 से 14 दिन |
1 से 4 दिन |
1 से 3 दिन |
लक्षण शुरू होना |
धीरे धीरे |
आकस्मिक |
धीरे धीरे |
खांसी |
सामान्यतः |
सामान्यतः |
मध्यम से औसत |
सांस फूलन |
सामान्यतः |
कभी-कभी |
हल्का |
बुखार |
सामान्यतः |
सामान्यतः |
दुर्लभ |
थकान |
सामान्यतः |
सामान्यतः |
कभी-कभी |
नाक बहना |
कभी-कभी |
कभी-कभी |
सामान्यतः |
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नाक बंद |
कभी-कभी |
कभी-कभी |
सामान्यतः |
दस्त |
कभी-कभी |
कभी-कभी |
दुर्लभ |
बदन दर्द |
कभी-कभी |
सामान्यतः |
थोड़ा |
गले में खराश |
कभी-कभी |
कभी-कभी |
सामान्यतः |
सिर दर्द |
कभी-कभी |
सामान्यतः |
दुर्लभ |
भूख न लगना |
कभी-कभी |
सामान्यतः |
कभी-कभी |
श्वसन संबधित समस्यायें |
सामान्यतः |
कभी-कभी |
कभी-कभी |
ठंड लगना |
कभी-कभी |
काफी आम |
असमान्यतः |
स्वाद या गंध का अचानक गायब होना |
सामान्यतः |
कभी-कभी |
कभी-कभी |
रिकवरी |
2 सप्ताह या 3 से 6 सप्ताह गंभीर केस में |
3 से 7 दिन 10 दिन गंभीर केस में |
7 से 10 दिन |
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यहां यह जानना भी अत्यंत आवश्यक है कि कोविड-19 या कोरोना संक्रमण किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ही होगा।
कुछ व्यक्ति समय और मौसम के बदलाव के साथ सर्दी-ज़ुकाम और एलर्जी व अस्थमा के शिकार हो जाते हैं। ऐसे लोगों को कोविड-19 संक्रमित मरीज़ों से दूरी बनाकर रखना चाहिए।
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार लगभग 15% कोविड-19 मरीज़ गंभीर अवस्था और 5% नाज़ुक अवस्था में पहुंच सकते हैं।
कोविड-19 के मरीज़ों का फ़्लू के मरीज़ों की तुलना में गंभीर और नाज़ुक अवस्था में पहुंचने का ख़तरा अधिक होता है। कोविड-19 की मृत्युदर भी फ़्लू की तुलना में कहीं ज़्यादा है।
इन सब बातों को ध्यान में रखकर घर के बाहर इन बातों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
प्रत्येक व्यक्ति से 6 फ़ीट या 2 मीटर की सामाजिक दूरी बनाकर रखें।
मास्क का प्रयोग कर नाक और मुंह को ढंककर रखें।
हाथों को साबुन या उचित sanitizer से साफ़ रखें।
चेहरे को हाथ न लगाएं।
यदि अस्वस्थ लगे तो घर पर ही रहें।
जहां तक हो सके, घर से ही कार्य करें।
भीड़ और किसी भी सभा में जाने से बचें।
समय रहते उचित जांच-उपचार और नियमों का पालन करें।
जिन लोगों को पूर्व से मधुमेह, श्वसन रोग, कैंसर, गुर्दा रोग या अन्य जटिल और गंभीर रोग हैं, उन्हें अत्यंत सावधानी रखनी चाहिए और समय-समय पर अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
स्वस्थ रहने के लिए किसी भी रोकथाम इलाज से बेहतर है।
सर्वे भवंतु सुखिन:,
सर्वे सन्तु निरामया:।
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