कोविड-19 का प्रकोप कभी कम नहीं हुआ है। दूसरी लहर के दौरान जहां रेमडेसिवीर की अधिक डिमांड थी। तीसरी लहर में मॉलनुपिराविर की मांग बढ़ रही है। जिस तेजी से मांग बढ़ रही है उस पर डॉक्टर भी चिंता जताने लगे हैं। इस दवा को लेकर जितनी अधिकता से मांग बढ़ रही है लेकिन यह दवा सभी के लिए उचित नहीं है।
दरअसल, इस दवा का 5 दिन का कोर्स होता है। डॉक्टर अपने अनुसार इस दवा को मरीजों को देते हैं। यह एक प्रकार का एंटीवायरल ड्रग है। इस इस दवा को फ्लू यानी इंफ्लुएंजा के इलाज के लिए विकसित किया गया था। यह एक ओरल ड्रग है यानी इसे खा सकते हैं। लेकिन इस दवा को सभी लोग नहीं ले सकते हैं।
यह एंटीवायरल ड्रग वायरस को बढ़ने से रोकती है। इस गोली का सेवन करने के बाद मानव शरीर के मैकेनिज्म की गड़बड़ियों को ठीक करती है। शरीर में प्रवेश हो चुके वायरस को बढ़ने से रोकती है। जैसे-जैसे दवा का असर शुरू होता है तो वायरस की संख्या कम होने लगती है। जिससे इंसान गंभीर रूप से बीमार होने से बच सकता है।
कोविड से ठीक होने में रामबाण कही जा रही मोल्नुपिराविर दवा को इसके इलाज के तौर पर रामबाण माना जा रहा है लेकिन सरकार ने इस दवा को लेकर सावधान कर दिया है। ICMR ने साफ कर दिया कि यह दवा वर्तमान में कोविड के इलाज के लिए बने क्लीनिकल प्रोटोकॉल में शामिल नहीं की जाएगी।
जानें किन्हें नहीं लेना चाहिए दवा -
ICMR के मुताबिक ये दवा युवाओं, अविवाहित और गर्भवती महिलाओं को नहीं लेना चाहिए। इससे बच्चे पर असर पड़ता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक वैक्सीन के लिए बने टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के चीफ डॉ एन के अरोड़ा ने भी हर मामले में इस दवा को इस्तेमाल न करने की सलाह दी है।
DCGI ने दी इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी
गौरतलब है कि इस दवा को भारत के ड्रग कंट्रोलर ने 28 दिसंबर को कोविड के कुछ ही मरीजों के इलाज में मंजूरी दी है। इसका फायदा 60 साल से बड़े लोग और उनकी हम उम्र के लोगों में सफल होता देखा गया है। लेकिन इसे युवाओं केा भी यह दवा दी जा रही है तो आइए जानते हैं एक्सपर्ट से कितनी कागर है मोल्नुपिराविर -
डॉ. रवि दोसी, कोविड स्पेशलिस्ट, इंदौर ने वेबदुनिया को चर्चा में बताया, ' मोल्नुपिराविर दवा सभी को नहीं दी सकता है। इसे सिर्फ फिक्स कंडीशन मेंही दिया जा सकता है। यह सिर्फ उन्हीं केस में दिया जाए जिसमें डर है कि केस बिगड़ सकता है।माइल्ड केस में ही दे सकते है। उन्हें ऑक्सीजन लग गई है उन्हें नहीं दिया जा सकता है। इस मेडिसिन को मॉडरेट और सीवियर केस में देने का कोई फायदा नहीं है। रिप्रोडक्टिव आयु वर्ग के लोगों को इसे बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए।
दरअसल, ये ड्रग जिस तरह से काम करती है उसमें म्यूटेशन की संभावना अधिक होती है।
मोल्नुपिराविर दवा के साइड इफेक्ट
- प्रजनन क्रिया के सेल्स पर प्रभाव पड़ता है।
- इस दवा को लेने के बाद 3 महीने तक प्रजनन क्रिया नहीं करें।
- मोल्नुपिराविर लेने के बाद कंसीव कर लेते हैं तो बच्चा विक्षिप्त पैदा हो सकता है।
- यंग ऐज में देने पर ऑर्थोपेडिक होने का खतरा।
- कैंसर संबंधित रोग हो सकते हैं।
डॉ.शरद थोरा, एमबीबीएस एमडी, इंदौर ने वेबदुनिया को बताया कि, 'उसकी स्थिति में ही इस्तेमाल करें। या फिर जिन्हें वैक्सीन नहीं लगा हो उन्हें शुरुआती दौर में यह दवा दी जा सकती है। लक्षण दिखने के 1 दो 2 दिन में ही यह दवा ले लेते तो फायदेमंद है। लेकिन वैक्सीनेटेड लोगों में यह बहुत अधिक कारगर नहीं है। एक स्टडी हुई जिसमें सामने आया कि उन्हें डायबिटीज और वायरल लोड कम है तो डिजायर्ड प्रभाव रहेगा।
वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो ओमिक्रॉन माइल्ड डिजीज है और जो भी इसकी चपेट में आ रहे हैं वे घर पर आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं। तो ऐसी स्थिति में इस दवा का रोल नहीं है। तो उन्हें वैक्सीन नहीं लगा है और जो 60 साल से अधिक उम्र के हैं जिन्हें कोमोरबिडिटी की समस्या है उन्हें शुरुआती दिनों में यह कारगर है।
साइड इफेक्ट - इसका टेराटोजेनिक इफेक्ट यानी गर्भवती महिला को देने पर आने वाले बच्चे पर इसका असर हो सकता है। इसलिए अगर बच्चे की योजना बना रहे हैं तो उन्हें ये दवा नहीं लेना चाहिए। और 4 दिन बाद तक भी कंसेप्शन नहीं होना चाहिए। वहीं पुरुषों पर भी यह बात लागू होती है।
- शोध में पाया गया है कि लंबे अंतराल के बाद कैंसर होने की संभावना भी है।
- पोस्ट कोविड में इसके साइड इफेक्ट भी दिख सकते हैं। इसलिए विशेषज्ञ की सलाह से ही इसका इस्तेमाल करें।
डॉ सूरज वर्मा, कोविड स्पेशलिस्ट, CHL, इंदौर ने वेबदुनिया को बताया कि, 'स्टडी में यह ड्रग उन्हें दिया गया है जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी। फिलहाल में जो निर्देश आए है उन्हें माइल्ड टू मोडरेट कहते हैं। वे घर पर आइसोलेट हो सकते हैं। ये उन्हीं के लिए बोला गया है। सीवियर केस में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। मोर्टलिटी और एडमिशन रेट कम होता है। हालांकि यह कोविड पर टेस्ट किया गया था उस पर कहा गया। ओमिक्रॉन के लक्षण देखकर दवा दी जा रही है।
यह दवा मुख्य रूप से 5 दिन दी जाती है। मुख्य रूप से उन्हें दी जाती है जिन्हें माइल्ड केस है। जिसमें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है। और जो घर पर ठीक हो सकते हैं। 65 से अधिक है या को-मोरबिडिटी की समस्या है लेकिन वह होम आइसोलेशन में है। सिर्फ उन्हें यह दवा दी जा रही है।