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कहीं आपको फैटी लिवर तो नहीं? जानें कारण,लक्षण व उपचार

हमें फॉलो करें कहीं आपको फैटी लिवर तो नहीं? जानें कारण,लक्षण व उपचार
फैटी लिवर एक कॉमन समस्या है। आज हम जानेंगे कि फैटी लिवर क्या है? क्यों होता है? अगर किसी को यह समस्या है तो क्या किया जाना चाहिए।

यह बात सभी एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर मिडिल एज वालों का एक जनरल अल्ट्रा साउंड करवाया जाए तो किसी न किसी को फैटी लिवर निकलेगा। यहां तक कि भारत में प्रचलित प्रमुख बीमारियों डायबिटीज और ऑर्थराइटिज के मरीजों की संख्या को मिला दिया जाए तो उनकी जो संख्या होगी उससे अधिक अकेले फैटी लिवर वालों की निकलेगी।

फैटी लिवर क्या है?
लिवर में फैट का जमाव/डिपोजिशन ही फैटी लिवर कहलाता है।
 
फैटी लिवर दो प्रकार का होता है
1)नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर
2) अल्कोहलिक फैटी लिवर
 
1)नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ एक ऐसी बीमारी है जो शराब पीने से नहीं होती। यह साधारण तौर पर लोगों में देखने को मिल जाती है। इसका असल कारण अनियमित खानपान और जीवनशैली का सही ना होना हो सकता है। अक्सर लिवर पर किसी प्रकार की सूजन आ जाती है। इस सूजन का कारण भी लिवर पर वसा का जमाव हो सकता है। यह साधारण फैटी लिवर का संकेत हो सकता है। साधारण फैटी लिवर इतना खतरनाक नहीं है जितना नॉन अल्कोहलिक स्टीटोइसहेपिटाइटिस, यह एक प्रकार की लिवर डिज़ीज़ है जो ख़तरे का संकेत हो सकती है। इस बीमारी में लिवर पर सूजन होने के साथ साथ लिवर की कोशिकाओं को भी नुक़सान हो सकता है। आगे चलकर इससे लिवर कैंसर होने का भी ख़तरा देखा गया है।

2) अल्कोहलिक फैटी लिवर
शराब पीने के कारण लिवर को काफ़ी नुक़सान पहुंचता है। हमारा लिवर खाने तथा पीने के पदार्थों से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने का कार्य करता है। ये एक प्रकार का फ़िल्टर माना जा सकता है। शराब लिवर के लिए किसी ज़हर से कम नहीं है। ऐसे लोग जो शराब का सेवन करते हैं तो वे फैटी लिवर डिजीज़ से ग्रस्त हो सकते हैं। शराब का सेवन करने से लिवर को अधिक कार्य करना पड़ता है जिससे लिवर की कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है।
 
वैसे तो लिवर शराब को शरीर से निकाल देती है लेकिन शराब से अलग किए गए हानिकारक तत्व तब भी शरीर में रह कर लिवर की कोशिकाओं को नुक़सान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। इससे न सिर्फ़ सूजन की समस्या बढ़ सकती है बल्कि लिवर पर वसा का जमाव भी होना शुरू हो जाता है।
 
शराब पीने के कारण लिवर पर वसा का आना प्रारम्भिक लिवर डिज़ीज़ का संकेत होता है। आगे चलकर ये ना सिर्फ़ हैपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी बीमारियों को जन्म दे सकता है बल्कि इससे कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है।
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फैटी लिवर डिज़ीज़ के कारण
1) असंतुलित आहार
आहार का संतुलित होना बहुत जरूरी है। यदि आहार में पोषक तत्वों की कमी हो या फिर कैलोरी की मात्रा अधिक हो तो ऐसे में शरीर को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अधिक वसायुक्त चीज़ें, तली भुनी चीज़ें तथा जंक फ़ूड इत्यादि के सेवन से शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है। ये फैटी लिवर को जन्म दे सकता है।
 
2) शारीरिक समस्याएं या बीमारियां
ज़रूरी नहीं कि फैटी लिवर सिन्ड्रोम सिर्फ़ और सिर्फ़ वसा की अत्यधिक जमाव का नतीजा हो बल्कि ये बीमारी अन्य शारीरिक बीमारियों की वजह से भी जन्म ले सकती है। हाई ट्राईग्लिसराइड, अधिक वज़न तथा डायबिटीज़ की समस्या होने पर भी फैटी लिवर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। हाई ट्राईग्लिसराइड एक प्रकार की बीमारी है जिसमें रक्त में पाई जाने वाली वसा काफ़ी बढ़ जाती है।

3) शराब का सेवन
शराब का सेवन करने से भी फैटी लिवर सिंड्रोम होता है। शराब पीने से लिवर ख़राब होने का ख़तरा बढ़ जाता है। शराब में काफ़ी मात्रा में वसा पाई जाती है जिसके कारण लिवर पर वसा के जमाव की संभावना अधिक रहती है। इसी के साथ साथ शराब में ज़हरीले और हानिकारक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो कि ना सिर्फ़ लिवर डैमेज का कारण बनती है बल्कि इससे गुर्दे के फ़ेल होने की समस्या भी बढ़ जाती है।

4) वज़न घटाने के लिए सप्लीमेंट्स
अक्सर देखा गया है कि लोग अपने वज़न को घटाने के लिए नित्य नए तरीक़े अपनाते हैं। इन्हीं में से एक तरीक़ा आता है सप्लीमेंट्स का सेवन। कई लोग अपने वज़न को तेज़ी से घटाने के लिए ऐसे सप्लीमेंट्स या प्रोटीन युक्त पदार्थ खाने लगते हैं जो वसा को तेज़ी से जलाने के लिए बाज़ार में बेचे जाते हैं। ये सप्लीमेंट्स शरीर की कई बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार माने जाते हैं।
 
कई बार तो सप्लीमेंट्स लिवर डैमेज का ख़तरा भी बन जाते हैं। जब लोग तेज़ी से वज़न घटाना चाहते हैं तो ऐसे में वे सप्लीमेंट्स खाने के अलावा एक काम और करते हैं और वह होता है कि वे अपना खाना पीना छोड़ देते हैं। खाना छोड़ने से उन्हें शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा मिलना बंद हो जाती है। इससे लिवर को कार्य करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती हैं। ये लिवर की कार्य क्षमता को कम कर देती है जिससे लिवर वसा को ग्लूकोज के रूप में जमा करने और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को प्रवाहित करने में असमर्थ हो जाता है। इसका परिणाम ये होता है कि वसा लिवर पर ही अपना जमाव स्थापित करने लगती है।

5) नींद की कमी
फैटी लिवर सिंड्रोम के लिए पर्याप्त नींद किस प्रकार से अपना कार्य करती है इस विषय को लेकर अभी भी शोध के निष्कर्ष में मतभेद हैं लेकिन ये बात बिलकुल तय है कि पर्याप्त नींद की कमी से लिवर की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। लिवर की कार्य क्षमता प्रभावित होने से वसा का जमाव लिवर पर बढ़ने की संभावना काफ़ी ज़्यादा हो जाती है।

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फैटी लिवर के लक्षण
जब शरीर में फैटी लिवर की बीमारी जन्म लेती है तो विशेष लक्षण सामने आते हैं...
 
फैटी लिवर सिंड्रोम या बीमारी होने की स्थिति में लिवर पर वसा का जमाव हो जाता है जिससे लिवर पर सूजन आ जाती है। शरीर के पेट के हिस्से में जहां पर लिवर होता है वहां पर सूजन दिखाई देती है।
 
फैटी लिवर की बीमारी होने पर शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है। इससे व्यक्ति थका थका महसूस करता है।
 
एकाग्रता में कमी आती है। इसी के साथ साथ व्यक्ति को कमज़ोरी का अनुभव होता है।
 
वज़न का घटना या बढ़ना भी फैटी लिवर सिंड्रोम का एक लक्षण हो सकता है। कुछ लोगों में फैटी लिवर होने पर वज़न तेज़ी से घटने लगता है। वहीं कुछ लोगों में ऐसी बीमारी होने पर वज़न बढ़ना शुरू हो जाता है। यह पाचन क्रिया के प्रभावित होने के कारण होता है। फैटी लिवर सिंड्रोम पेट की कई बीमारियों को जन्म देता है।
 
जो लोग फैटी लिवर की समस्या से ग्रस्त होते हैं उनमें अक्सर क़ब्ज़ की समस्या भी देखी जाती है।
 
फैटी लिवर सिंड्रोम होने पर व्यक्ति को भ्रम का अनुभव भी हो सकता है। ये मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता को काफ़ी प्रभावित कर सकता है। फैटी लिवर सिंड्रोम के ये लक्षण साधारण तौर पर लोगों में देखे जाते हैं।
 
फैटी लिवर सिंड्रोम से कैसे बचें
 
फैटी लिवर सिंड्रोम की समस्या से बचने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने शरीर में डायबिटीज़ तथा अन्य रक्त संबंधी समस्याओं को जन्म न लेने दें। इसके लिए हमें शरीर को फ़िट अर्थात चुस्त दुरुस्त रखना होगा। शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए सबसे अच्छा माध्यम व्यायाम है। नियमित तौर पर व्यायाम करके हम फैटी लिवर सिंड्रोम की समस्या से बच सकते हैं।
 
लिवर की इस समस्या को दूर करने के लिए अपने आहार को संतुलित रखना अत्यधिक ज़रूरी है। हम अपने आहार में सेब का सिरका, नींबू, आंवला, ग्रीन टी, फलों और सब्ज़ियों को स्थान दे सकते हैं। प्रतिदिन योगा और ध्यान करना भी एक अच्छा उपाय है।

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