अमित सिंह दिल्ली के एक मीडिया हाउस में काम करता था। पिछले कुछ दिनों से उसे सीने में दर्द और सांस की समस्या थी। डॉक्टर से मिला तो कुछ जांच रिपोर्ट के बाद फेफड़ों में इन्फेक्शन बताया गया। कुछ दिनों इलाज चला और एक दिन दिल के दौरे ने उसकी जान ले ली। अमित महज 38 साल का था।
इस तरह का यह पहला मामला नहीं था। नागपुर के 32 साल के विशाल कुमार के साथ भी यही हुआ। उसे कोई दिक्कत नहीं थी, इसके साथ ही वो अपनी एक लोकल कोरियोग्राफी एजेंसी चला रहा था, जिसमें वो डांस सिखाता था, यानि उसकी फिजिकल एक्सरसाइज होती रहती थी। एक दिन उसने पेट में दर्द और एसीडीटी की शिकायत की।
शाम को उसने डॉक्टर की सलाह पर कुछ दवाईयां लीं और सो गया। देर रात फिर से उसे घबराहट हुई और तबियत बिगड़ी तो उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया। डॉक्टर ने उसकी नब्ज टटोली और जवाब दिया कि ही इज नो मोर...
40 से 45 साल के उम्र में युवाओं में आजकल यह आम बात हो गई है।
क्यों आ रहे हार्ट अटैक?
इस बारे में डॉक्टरों की बेहद स्पष्ट राय है। इंदौर के जाने-माने मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर संजय गुजराती ने बताया कि मेंटल स्ट्रेस, एन्जाइटी, फास्टफूड का इस्तेमाल, रात को जागना या नींद पूरी नहीं लेना, ओवर टाइम और खराब लाइफस्टाइल। यह सब दिल की बीमारियों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इन्हीं सब कारणों से हार्ट अटैक या दिल के दौरे की संभावना ज्यादा हो गई है।
डॉक्टर गुजराती के मुताबिक इस वक्त तो उनके पास दिल के दौरे के ऐसे मरीज आए हैं जिनकी उम्र महज 18 और 20 साल थी। यह चौंकाने वाली बात है।
महिलाओं में अब मेनोपॉजके पहले भी!
यही स्थिति महिलाओं को लेकर है। एक समय ऐसा था जब महिलाओं को पीरियड बंद होने के बाद हार्ट अटैक आने की संभावना ज्यादा होती थी, इसके पहले महिलाओं में इसकी आशंका कम होती थी, लेकिन अब मेनोपॉज के बाद भी हार्ट अटैक की आशंकाएं बढ गई हैं। ऐसा हार्मोन्स घट जाने और खराब लाइफस्टाइल की वजह से हो रहा है। तनाव,एन्जाइटी भी इनकी वजह है।
पहले जेनेटिक थी, अब हम पैदा कर रहे
डॉक्टर गुजराती के मुताबिक आमतौर पर बीमारियां जेनेटिक होती हैं, यानि अगर किसी के दादा या परदादा को दिल का दौरा, कैंसर या शुगर रहा है तो उनके बेटों और पोतों में भी यह चली आती हैं, जींस की वजह से यह स्वाभाविक है, लेकिन अब जिनके वंशजों में कोई बीमारी नहीं रही है, वो भी अपनी जीवनशैली और खराब आदतों की वजह से ऐसी बीमारियां पैदा कर रहे हैं।
दिमाग ज्यादा, पैर कम चल रहे
दरअसल, इन दिनों हमारी एक्टिव लाइफ का स्तर बेहद घट गया और दूसरी चीजों पर निर्भरता बढ गई है। जैसे हमें 50 कदम की दूरी पर ही जाना है तो हम वाहन का इस्तेमाल करते हैं। अब हमें मोबाइल रिचार्ज करने भी बाहर नहीं जाना पड़ता है। ऐसे में हमारी एक्टिव लाइफ लगभग खत्म हो चुकी है। यह कर के हम खुद नई बीमारियां पैदा कर रहे हैं, जबकि हमारे पूर्वजों में वो बीमारियां कभी थी ही नहीं।
पोस्टपोंड हो सकती है बीमारियां
अगर हम चाहें तो अपनी बीमारियों के समय को आगे बढ़ा सकते हैं। डॉक्टर गुजराती ने बताया कि अच्छा और संतुलित खानपान, एक्सरसाइज, अच्छी नींद, एक्टिव लाइफ और तनाव और एन्जाइटी को दूर रखकर अपनी बीमारियों को बेहद हद तक आगे बढ़ा सकते हैं या खत्म कर सकते हैं।
क्या कोरोना के कारण भी हो रहे हार्ट अटैक?
डॉक्टर गुजराती का इस बारे में कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण भी हार्ट फेल की संभावना ज्यादा है। उन्होंने बताया कि दरअसल कोरोना एक आरएनए वायरस है। ऐसे वायरस की वजह से खून में थक्का जम जाता है या ब्लॉकेज हो जाता है जिससे हार्ट में रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता है, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।
युवाओं के लिए क्यों खतरनाक है हार्ट अटैक?
डॉक्टर गुजराती ने बताया कि युवाओं में हार्ट अटैक इसलिए ज्यादा खतरनाक और जानलेवा होता है क्योंकि कम उम्र में ब्लड वैसल के विकल्प कम होते है, यानि कम उम्र में रक्त को हार्ट तक पहुंचाने के ऑप्शन कम होते हैं,जबकि बढती उम्र में ऐसी वैसल्स ज्यादा बनती हैं जो रक्त को हार्ट में पहुंचाती हैं, ऐसे में अगर एक वैसल्स ब्लॉक हो गई तो दूसरी काम करने लग जाती है। इसी वजह से हार्ट अटैक में युवाओं की जान को ज्यादा खतरा होता है, जबकि ज्यादा उम्र के लोग सर्वाइव कर जाते हैं।
क्या करें अच्छी लाइफस्टाइल के लिए
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कार्डिएक एक्सरसाइज यानि जिसमें दिल और फेफडों का व्यायाम हो।
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फास्टफूड को हमेशा के लिए अलविदा कह दें।
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खाने-पीने में प्रोटीन का इस्तेमाल करें।
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ब्रिदिंग एक्सरसाइज जैसे अनुलोम विलोम, कपाल भाती आदि।
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रात में जागना बंद करें और पूरी नींद लें।
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किसी भी चीज का तनाव न लें।
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खुश और सकारात्मक रहें।
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कम उम्र में क्यों आता है हार्ट अटैक?
स्मोकिंग और अल्कोहल: अक्सर इस उम्र के युवा दूसरों की देखा-देखी में स्मोकिंग और अल्कोहल की आदत लगा लेते हैं, जिसके वो आदी हो जाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक ये आदतें इंसान के अंदर कार्डियोवस्कुलर डिजिज जैसी बीमारी के लक्षण पैदा कर देते हैं। इसके बाद बॉडी में फैट बनता है और उसे फिर कोरोनरी हार्ट बीमारी हो जाती है।
ज्यादा शराब पीने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिसका सीधा असर बल्ड वेसैल्स पर पड़ने से हार्ट पंपिग शुरू हो जाता है। इससे हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
जंक फूड: आमतौर पर युवा पीढ़ी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में जंक फूड पर निर्भर हैं, जिसमें वो तली चीजों का ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं। इससे शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ती है और इसका सीधा प्रभाव सीधा दिल पर पड़ता है।
ओवर टाइम: 30-45 के बीच के उम्र वाले लोग अपनी लाइफस्टाइल में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने खाने पीने पर ध्यान नहीं देते हैं और बाहर की चीजों पर रोक नही लगा पाते हैं। वो सारा टाइम ऑफिस में कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं और इसके बाद भी वो घर वापस आकर भी फोन इस्तेमाल करते हैं।
इसमें सोशल मीडिया भी जिम्मेदार है। जिसकी वजह से वर्क लोड सीधा ब्लड वेसेल्स पर असर डालता है। इसी के कारण युवा पीढ़ी और मिडल ऐज के लोग ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं।