हार्ट अटैक एक ऐसा टर्म है जिसे सुन कर ही दिल घबराने लगता है। हार्ट अटैक या दिल की बीमारियाँ कभी ओल्ड ऐज के साथ देखने में आती थीं मगर पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां हार्ट अटैक से मरने वालों की उम्र महज 20 और 35 के आसपास रही है । आखिर क्या वजह है कि इन दिनों कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं? कई बार तो हार्ट अटैक हमें संभलने और बचने का मौका भी नहीं देता। न जाने कब और कहां चलते-फिरते, सोते-जागते या सामान्य काम करते हुए किसको हार्ट अटैक आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।
आमतौर पर माना जाता रहा है कि वर्कआउट करने वालों, नियमित व्यायाम और खेल-कूद से जुड़े लोगों में हृदयघात का खतरा अन्य लोगों के मुकाबले कम होता है, लेकिन पिछले कुछ समय से इन्हीं क्षेत्रों से जुड़े कई युवाओं को हुए हार्ट अटैक के मामलों ने हमें चिंता में डाल दिया है । वेब दुनिया ने दिल और दिल से जुड़ी बीमारियों के बारे में डॉ भारत रावत से बात की। डॉ भारत रावत मेदान्ता हॉस्पिटल, इंदौर में सीनिअर कार्डियोलॉजिस्ट हैं। साथ ही एक कुशल लाइफ स्टाइल गाइड भी हैं।
प्र. हार्ट अटैक क्या होता है?
डॉ भारत रावत : दिल को खून सप्लाई करने वाली आर्टरी को कोरोनरी आर्टरी कहते हैं। यह आर्टरी करीब 3 से 4 मिली मीटर चौड़ी होती हैं। यही वे धमनियां होती हैं जो हमारे हृदय की मांसपेशियों को रक्त सप्लाई करती हैं। जब अचानक इन धमनियों में किसी थक्के की वजह से रक्त का प्रवाह रुक जाता है तो दिल की कोशिकाएं मरने लगती हैं। दिल के किसी भाग को इस तरह से क्षति पहुंचने को ही हार्ट अटैक या हृदय घात कहा जाता है।
प्र. हृदय घात के क्या लक्षण हैं?
डॉ भारत रावत : अचानक से छाती में दर्द होना, पसीना आना और घबराहट होना हृदय घात के मुख्य लक्षण हैं।
प्र. पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में दिल की बीमारी लगभग 10 साल पहले दस्तक दे रही है। इसका क्या कारण है?
डॉ भारत रावत : यह वास्तव में गंभीर प्रश्न है। यह सच है कि विकासशील देशों में यह बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है और वहीं जो विकसित देश हैं वहां बीमारी कम हो रही है। यूरोप और अमेरिका में पिछले तीन दशकों से हृदय घात की संख्या में कमी आई है। वहीं साउथ एशियन देशों में इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। यह वास्तव में चिंता का विषय है। इसमें जो प्रमुख कारण पता चले हैं उनमें अनियमित और असंतुलित खान-पान एक प्रमुख कारण है। भारत में बाजार में उपलब्ध खाद्य सामग्री में किसी तरह का कंट्रोल नहीं होता है। वहीं पश्चिमी देशों में खाद्य सामग्री में किस तरह के तेल और वसा का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसका बहुत ध्यान रखा जाता है।
दूसरी और भारत में अभी भी तंबाकू और धूम्रपान का बहुत प्रचलन है। विश्व में सबसे ज्यादा तंबाकू का उपयोग भारत में ही होता है। एक और प्रमुख कारण है कि भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। भारत में प्रदूषण भी बहुत ज्यादा है विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित देशों में भारत का स्थान काफी ऊपर है। ये कुछ प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से भारत में कम उम्र में भी हृदय की बीमारी बढ़ रही है।
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